एसएंडपी ने लगातार 14वें साल भारत की रेटिंग को न्यूनतम स्तर की ‘निवेश श्रेणी’ में कायम रखा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 13, 2021 - 08:36 PM (IST)

नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने लगातार 14वें साल भारत की रेटिंग को निवेश श्रेणी के न्यूनतम स्तर बीबीबी- (ट्रिपल बी माइनस) पर कायम रखा रहा है और आगे की संभावनाओं को स्थायित्वपूर्ण बताया है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि मौजूदा आर्थिक सुस्ती से उबरने के लिए सरकार की अतिरिक्त आर्थिक सुधारों के क्रियान्वयन की क्षमता महत्वपूर्ण है। इससे निवेश बढ़ेगा और रोजगार सृजन होगा।
एसएंडपी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहेगी। इससके अगले साल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहेगी।
देश का सकल घरेलू उत्पाद 2019-20 में 2,870 अरब डॉलर रहा था, जो 2020-21 में घटकर 2,660 अरब डॉलर रह गया। इसके 2024-25 तक बढ़कर 3,960 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में भारत की अर्थव्यवस्था को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया था।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2021-22 की दूसरी छमाही से अर्थव्यवस्था में सुधार रफ्तार पकड़ेगा। एजेंसी ने रेटिंग परिदृश्य को स्थिर रखा है।
एसएंडपी ने कहा, ‘‘सरकार की अतिरिक्ति आर्थिक सुधारों के क्रियान्वयन, विशेषरूप से निवेश और रोजगार बढ़ाने वाले, की क्षमता अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी।’’
एसएंडपी ने बयान में कहा, ‘‘मौजूदा कमजोरियां मसलन कमजोर वित्तीय क्षेत्र, कठोर नियमों वाला श्रम बाजार और सुस्त निजी निवेश अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को प्रभावित कर सकता है।’’
एसएंडपी ने भारत की दीघावधि की बीबीबी- तथा लघु अवधि की अनापेक्षित विदेशी एवं स्थानीय मुद्रा सावरेन रेटिंग को ए-3 पर कायम रखा है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि सरकार को अगले 24 माह के दौरान अधिक अतिरिक्त कोष की जरूरत होगी, लेकिन भारत की मजबूत बाह्य स्थिति (विदेशी मुद्रा भंडार) वित्तीय दबाव के समक्ष बफर का काम करेगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक संस्थान नीतिगत स्थिरता और सहमति को प्रोत्साहन देते हैं तथा रेटिंग को सहारा देते हैं। लेकिन देश की इस ताकत को प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर और कमजोर राजकोषीय स्थिति से चुनौती मिलती है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का अनुमान है कि शेष बचे 2021-22 के वित्त वर्ष में भारत में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होंगी। इससे 9.5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी की वृद्धि हासिल की जा सकेगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इसका एक उल्लेखनीय हिस्सा पिछले वित्त वर्ष के निम्न तुलनात्मक आधार के प्रभाव (शून्य से नीचे की आर्थिक वृद्धि से तुलना) की वजह से हासिल होगी। 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।
एसएंडपी ने कहा कि भारत की राजकोषीय स्थिति कमजोर है। हालांकि, सरकार द्वारा इसको मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाएंगे लेकिन अभी कुछ वर्षों तक यह ऐसी ही रहेगी। चालू वित्त वर्ष में देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 11 प्रतिशत से अधिक रहेगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार का लोकसभा में बड़ा बहुमत है, जिससे उसके आर्थिक सुधारों के क्रियान्वयन के प्रयासों में मदद मिलेगी। पिछले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने तीन श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दी है, जिनसे देश में विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के 300 से कम कर्मचारियों के उपक्रमों में रोजगार के व्यवहार को उदार करने में मदद मिलेगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद 2022 में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों से राज्यसभा में भाजपा की लोकप्रियता का पता चलेगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि स्थिर परिदृश्य हमारी इस उम्मीद को दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के बाद उबर जाएगी। देश की मजबूत बाह्य स्थिति वित्तीय दबाव के लिए एक बफर के रूप में काम करेगी। हालांकि, अगले 24 माह के दौरान सरकार को अतिरिक्त कोष की जरूरत होगी।


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PTI News Agency

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