बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की जवाबदेही और जिम्मेदारी जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए : जयशंकर

punjabkesari.in Wednesday, Jun 30, 2021 - 07:13 PM (IST)

नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि व्यापक शक्ति और प्रभाव रखने वाली बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए और उन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए ।
जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब नये आईटी नियमों सहित विविध मुद्दों पर अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर और भारतीय प्रशासन के बीच तनाव बढ़ रहा है ।
इंडिया ग्लोबल फोरम को डिजिटल माध्यम से ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह बात कही । उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों की तरह से भारत में भी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के बारे में सघन बहस चल रही है । उन्होंने साथ ही कहा कि इससे कोई इंकार नहीं करता है कि ये प्रगति की ताकतें हैं ।
उन्होंने कहा, ‘‘किंतु लोकतांत्रिक समाज में हमें अपने आप से यह पूछना होगा, बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों (मौजूद) हैं, यह हमारे जीवन मे है, (इनकी उपस्थिति) स्पष्ट रूप से मेरे जीवन में दिखती हैं। आपकी बड़ी उपस्थिति है, (किंतु) इसके साथ आने वाली जिम्मेदारी कहां है?’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ उनके पास काफी ताकत है लेकिन जवाबदेही कहां है? यह मुद्दा मात्र भारत तक ही सीमित नहीं है । ये हमारे आंकड़ों का उपयोग करते हैं, जैसा कि दुनिया भर में किया जाता है। ऐसे में आप अमेरिकी क्रांति की भावना के विपरीत हैं, (यानी) प्रतिनिधित्व तो होना चाहिए पर कराधान नहीं हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ये काफी गंभीर मुद्दे हैं जिन पर चर्चा करने की जरूरत है । मैं समझता हूं कि इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है और यह नहीं कहा जा सकता कि आपको सवाल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार कर रहे हैं । मैं समझता हूं कि यह उनके हितों को साधता है । ’’
विदेश मंत्री ने कहा कि इन मुद्दों के विविध आयाम हैं जिसमें राजनीतिक पहलू एवं प्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रभाव शामिल हैं । उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ये मुद्दे हैं, क्योंकि आज बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने जो किया है..उसे एक पक्ष प्रशासन से जुड़े विषय के रूप में देखता है, एक लोकतांत्रिक मुद्दे के रूप में, एक राजनीतिक मुद्दे के रूप में.. मैं तो यही यही कहूंगा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘अन्य (बात) है कि उस प्रभाव को देखा जाए जो वे डालती हैं। अंतरराष्ट्रीय संबंध राज्य आधारित पक्षों से तय होते हैं। उस समय क्या होता है जब आपके पास गैर सरकारी पक्ष हो और कई मायनों में वे कई राज्यों से भी बड़े हो?’’


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PTI News Agency

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