मसौदा सिनेमेटोग्राफ संशोधन विधेयक पर दो जुलाई तक सुझाव दे सकते हैं नागरिक
punjabkesari.in Friday, Jun 18, 2021 - 11:10 PM (IST)
नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) केंद्र सरकार ने मसौदा सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2021 पर शुक्रवार को जनता की राय मांगी जिसमें फिल्मों की पायरेसी पर जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान प्रस्तावित है। इसमें केंद्र सरकार को शिकायत मिलने के बाद पहले से प्रमाणित फिल्म को पुन: प्रमाणन का आदेश देने का अधिकार भी प्रस्तावित किया गया है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एआईबी) ने आम जनता से मसौदा विधेयक पर दो जुलाई तक अपने सुझाव भेजने को कहा है।
अधिसूचना के अनुसार, ‘‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2021 प्रस्तावित किया है जिसमें फिल्मों के प्रदर्शन के लिए स्वीकृति की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने, बदलते समय के साथ बदलने और पायरेसी की समस्या पर लगाम लगाने के लिए प्रावधान हैं।’’
मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित बदलावों में फिल्मों को ‘अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन’ की श्रेणी में प्रमाणित करने से संबंधित प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है ताकि मौजूदा ‘यू/ए’ श्रेणी को आयु के आधार पर और श्रेणियों में विभाजित किया जा सके।
मंत्रालय ने विधेयक के मसौदे में फिल्म पायरेसी के लिए दंडनीय प्रावधान शामिल किया है और कहा कि इंटरनेट पर फिल्मों के पायरेटेड संस्करण जारी करने से फिल्म जगत और सरकारी खजाने को बहुत नुकसान होता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एआईबी) ने आम जनता से मसौदा विधेयक पर दो जुलाई तक अपने सुझाव भेजने को कहा है।
अधिसूचना के अनुसार, ‘‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2021 प्रस्तावित किया है जिसमें फिल्मों के प्रदर्शन के लिए स्वीकृति की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने, बदलते समय के साथ बदलने और पायरेसी की समस्या पर लगाम लगाने के लिए प्रावधान हैं।’’
मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित बदलावों में फिल्मों को ‘अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन’ की श्रेणी में प्रमाणित करने से संबंधित प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है ताकि मौजूदा ‘यू/ए’ श्रेणी को आयु के आधार पर और श्रेणियों में विभाजित किया जा सके।
मंत्रालय ने विधेयक के मसौदे में फिल्म पायरेसी के लिए दंडनीय प्रावधान शामिल किया है और कहा कि इंटरनेट पर फिल्मों के पायरेटेड संस्करण जारी करने से फिल्म जगत और सरकारी खजाने को बहुत नुकसान होता है।
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