सरकार खरीफ 2021 में दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए 20 लाख छोटे बीज किटका वितरण करेगी
punjabkesari.in Thursday, May 06, 2021 - 09:42 PM (IST)
नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह दालों की उपलब्धता बढ़ाने की एक रणनीति के तहत 82.01 करोड़ रुपये के बीज के 20 लाख से अधिक मिनी-किट वितरित करेगी ताकि फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के खरीफ सत्र में दालहन उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।
खरीफ (गर्मी) के मौसम में बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है।मानसून इस साल सामान्य रहने का अनुमान है।खरीफ की मुख्य दलहनी फसलों में तुअर, मूंग और उड़द की खेती हैं।
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अरहर, मूंग और उड़द के रकबे के विस्तार और उत्पादकता में सुधार, दोनों ही कार्यो के लिए राज्य सरकारों के परामर्श से एक विस्तृत योजना तैयार की गई है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘रणनीति के तहत अधिक उपज देने वाली किस्मों (एचवाईवी) के बीज का उपयोग करने की योजना है....। इन बीजों को अंतर-फसल और एकमात्र फसल के माध्यम से रकबे को बढ़ाने के लिए नि: शुल्क वितरित किया जाएगा।’’ इसमें कहा गया है कि आने वाले खरीफ 2021 के लिए, 20,27,318 (वर्ष 2020-21 की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक मिनी बीज किट) वितरित करने का प्रस्ताव है, जिसकी लागत 82.01 करोड़ रुपये आयेगी।
15 जून तक इन मिनी किटों को केंद्रीय एजेंसियों अथवा राज्य एजेंसियों द्वारा जिला स्तर पर गंतव्य तक आपूर्ति की जाएगी।
भारत अभी लगभग चार लाख टन तुअर, 60 हजार टन मूंग और लगभग तीन लाख टन उड़द का आयात कर रहा है।
फसल वर्ष 2007-08 में एक करोड़ 47.6 लाख टन के बेहद कम उत्पादन से, दालों का उत्पादन अब फसल वर्ष 2020-2021 में बढ़कर दो करोड़ 44.2 लाख टन तक पहुँच गया है, जो कि 65 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है।
इस सफलता के पीछे काफी हद तक केंद्रीय स्तर पर किये गये कई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप जिम्मेदार हैं मंत्रालय ने कहा कि सरकार लगातार दलहन खेती के तहत नए भूभाग को लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और साथ में यह सुनिश्चित करती है कि खेती के मौजूदा रकबों में उत्पादकता भी बढ़े।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
खरीफ (गर्मी) के मौसम में बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है।मानसून इस साल सामान्य रहने का अनुमान है।खरीफ की मुख्य दलहनी फसलों में तुअर, मूंग और उड़द की खेती हैं।
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अरहर, मूंग और उड़द के रकबे के विस्तार और उत्पादकता में सुधार, दोनों ही कार्यो के लिए राज्य सरकारों के परामर्श से एक विस्तृत योजना तैयार की गई है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘रणनीति के तहत अधिक उपज देने वाली किस्मों (एचवाईवी) के बीज का उपयोग करने की योजना है....। इन बीजों को अंतर-फसल और एकमात्र फसल के माध्यम से रकबे को बढ़ाने के लिए नि: शुल्क वितरित किया जाएगा।’’ इसमें कहा गया है कि आने वाले खरीफ 2021 के लिए, 20,27,318 (वर्ष 2020-21 की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक मिनी बीज किट) वितरित करने का प्रस्ताव है, जिसकी लागत 82.01 करोड़ रुपये आयेगी।
15 जून तक इन मिनी किटों को केंद्रीय एजेंसियों अथवा राज्य एजेंसियों द्वारा जिला स्तर पर गंतव्य तक आपूर्ति की जाएगी।
भारत अभी लगभग चार लाख टन तुअर, 60 हजार टन मूंग और लगभग तीन लाख टन उड़द का आयात कर रहा है।
फसल वर्ष 2007-08 में एक करोड़ 47.6 लाख टन के बेहद कम उत्पादन से, दालों का उत्पादन अब फसल वर्ष 2020-2021 में बढ़कर दो करोड़ 44.2 लाख टन तक पहुँच गया है, जो कि 65 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि को दर्शाता है।
इस सफलता के पीछे काफी हद तक केंद्रीय स्तर पर किये गये कई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप जिम्मेदार हैं मंत्रालय ने कहा कि सरकार लगातार दलहन खेती के तहत नए भूभाग को लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और साथ में यह सुनिश्चित करती है कि खेती के मौजूदा रकबों में उत्पादकता भी बढ़े।
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