बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख

punjabkesari.in Sunday, May 02, 2021 - 07:43 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) सीपीओ और सोयाबीन डीगम जैसे खाद्य तेलों के आयात शुल्क-मूल्य में वृद्धि किये जाने और कोविड19 का प्रकाप बढ़ने के बीच मांग प्रभावित होने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, सीपीओ सहित लगभग करीब करीब सभी तेल-तिलहन कीमतों में कुल मिला कर गिरावट दर्ज हुई। गत सप्ताहांत के मुकाबले केवल सोयाबीन दिल्ली का भाव 100 रुपये का लाभ दर्शाता बंद हुआ।
बाजार सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन तथा मंडियों के बंद होने के कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे थे। इसके अलावा विगत शुक्रवार को सोयाबीन डीगम और सीपीओं के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि के बाद तेल तिलहनों की मांग कमजोर पड़ गयी जिससे लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सरकार ने सीपीओ के आयात शुल्क मूल्य में 232 रुपये और सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य में 58 रुपये प्रति क्विन्टल की वृद्धि की है। बाजार में मांग हल्की पड़ने से बाकी तेल तिलहनों का बाजार प्रभावित हुआ।
सूत्रों ने कहा कि हाल के अनुभवों को देखते हुए तेल तिलहन उत्पादन के मामले में देश के आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक हो गया है। इस मामले में विदेशों पर निर्भरता खतरनाक है जहां आयात पर देश को भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा खर्च करनी पड़ती है। इसके उलट विदेशों में जिस तरह से डीओसी (सोयाबीन, सरसों इत्यादि के तेल रहित खल) की मांग बढ़ी है उसे तिलहन उत्पादन बढ़ाकर काफी लाभ कमाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार को सूरजमुखी की खेती को प्रोत्साहित करना चाहिये जिसकी अभी बुवाई चल रही है। इसके अलावा अगले 30-40 दिन में सोयाबीन की भी बिजाई पर निगरानी रखनी होगी और किसानों को बेहतर सोयाबीन के बीज उपलब्ध कराने होंगे। हाल के दिनों में किसानों को अपनी तिलहन ऊपज का जो बेहतर दाम मिला है उससे भविष्य में तेल तिलहन उत्पादन में भारी वृद्धि के आसार हैं।
उन्होंने कहा कि महंगा होने के कारण किसी के भी पास सोयाबीन का स्टॉक नहीं है। जबकि पॉल्ट्री वालों की घरेलू मांग के साथ सोयाबीन डीओसी की भारी निर्यात मांग है। सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि के बाद सोयाबीन तेल तिलहनों के भाव बढ़ गये जिससे मांग प्रभावित होने से इसके तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई।
पिछले सप्ताह सरसों दाना का भाव 225 रुपये की गिरावट के साथ 6,985-7,035 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया जो इससे पिछले सप्ताहांत 7,210-7,260 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 850 रुपये घटकर 14,000 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 130-130 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 2,110-2,190 रुपये और 2,290-2,320 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
सोयाबीन के तेल रहित खल की स्थानीय पॉल्ट्री फर्मो के अलावा भारी निर्यात मांग होने के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया। सोयाबीन दाना और लूज का भाव क्रमश: 380 रुपये और 330 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 7,270-7,370 रुपये और 7,170-7,220 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।
सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम का भाव क्रमश: 50-50 रुपये की हानि के साथ 15,000 रुपये और 14,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए जबकि इसके विपरीत समीक्षाधीन सप्ताहांत में सामान्य कारोबार के बीच सोयाबीन दिल्ली 100 रुपये का लाभ दर्शाता 15,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।
ऊंचे भाव पर मांग प्रभावित होने से मूंगफली दाना 85 रुपये की हानि के साथ 6,385-6,430 रुपये, मूंगफली गुजरात 160 रुपये हानि के साथ 15,600 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 25 रुपये की हानि के साथ 2,495-2,555 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
सप्ताह के दौरान कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव 150 रुपये घटकर 12,100 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया। मांग प्रभावित होने से पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 50-50 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 14,000 रुपये और 12,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गये।
बाकी तेलों में बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 14,650 रुपये प्रति क्विन्टल रह गया।


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PTI News Agency

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