क्या कैदियों की परिवारों के साथ मुलाकातों की संख्या बढ़ायी जा सकती है ? : अदालत

punjabkesari.in Tuesday, Apr 13, 2021 - 10:23 PM (IST)

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जेल प्रशासन से पूछा कि क्या कैदियों की अपने परिवार एवं वकीलों के साथ मुलाकात की संख्या प्रतिमाह तीन से बढ़ाकर चार की जा सकती है । साथ ही , न्यायालय ने जेल प्रशासन से डिजिटल मुलाकात के बजाय भौतिक मुलाकात की व्यवहारिकता पता करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने पुलिस महानिदेशक (जेल) से यह भी पूछा कि क्या एक दूसरे के बीच दूरी बनाकर एवं सुरक्षा आवरण लगाकर जेल परिसर के अंदर भौतिक मुलाकात करायी जा सकती है क्योंकि डिजिटल मुलाकात सभी के लिए व्यावहारिक नहीं है।

अदालत ने कहा है कि हो सकता है कि हर कैदी के परिवार के सदस्यों के पास डिजिटल मुलाकात के वास्ते जरूरी उपकरण एवं इंटनेट कनेक्शन न हो , इसलिए भौतिक मुलाकात कराने की व्यावहारिकता पता लगायी जाए।
पुलिस महानिदेशक (जेल) की ओर से पेश दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील गौतम नारायण ने अदालत से कहा कि पहले महीने में आठ मुलाकात होती थीं लेकिन कोविड-19 महामारी के बीच उसे घटाकर तीन तथा उसे भी डिजिटल मुलाकात कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि बाद में स्थिति सुधरने पर भौतिक मुलाकात शुरू की गयी लेकिन कोविड-19 के मामले बढ़ने पर अप्रैल में फिर उसे रोक दिया गया । उन्होंने कहा कि अब अदालत द्वारा पूछे गये सवालों के सिलसिले में जेल प्रशासन से निर्देश प्राप्त करेंगे।
अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या तिहाड़ जेल के कंप्यूटर सेंटर में कंप्यूटर चालू किये जा सकते हैं ताकि कैदी पुलिस, निचली अदालत, उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर जा सकें और अपनी मामलों एवं प्राथमिकियों पर नजर रख सकें
उसने पुलिस महानिदेशक (जेल) से जेल के कानूनी सहायता कक्ष में इंटरनेट कनेक्शन वाले कंप्यूटर प्रदान करने को कहा ताकि कानूनी सहायता वकील कैदियों को उनके मामले की स्थिति का पता लगाने में मदद कर सकें।
पुलिस महानिदेशक (जेल) से ये सवाल तब किये गये जब जेएनयू की दो छात्राओं -- नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता ने इन मुद्दों को अदालत के समक्ष उठाया। दोनों पिंजड़ा तोड़ की कार्यकर्ता और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के सिलसिले में जेल में हैं।


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PTI News Agency

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