यूरोपीय आकलन से भारत में कोविशील्ड टीके से खून के थक्के बनने का बहुत कम खतरा : वैज्ञानिक
punjabkesari.in Thursday, Apr 08, 2021 - 10:33 PM (IST)
नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) प्रख्यात वैज्ञानिक गगनदीप कांग के मुताबिक एस्ट्राजेनेका के टीके को लेकर यूरोपीय स्तर का आकलन किया जाए तो भारत में कोविशील्ड टीका लेने से खून के थक्के बनने के 320 मामले आने चाहिए। उन्होंने इसे बहुत कम खतरा बताते हुए कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लूर में प्रोफेसर कांग ने कहा कि यूरोपीय मेडिसीन एजेंसी (ईएमए) के मुताबिक यूरोपीय स्तर के आकलन से एस्ट्राजेनेका टीके से खून के थक्के बनने का खतरा एक लाख मामलों में एक का है और ब्रिटिश नियामक द्वारा 250,000 पर एक मामले की सूचना दी गयी है।
खून का थक्का बनने की आशंका के कारण एस्ट्राजेनेका के कोरोना वायरस के टीके के इस्तेमाल को रोक दिया है या इसे सीमित कर दिया है।
कांग ने ‘द वायर’ को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘टीका लेने के बाद खून का थक्का बनने के कुछ मामले आ सकते हैं। इसकी आशंका रहती है। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या कम प्लेटलेट काउंट से खून के थक्का बनने का मामला जुड़ा है।’’
कांग ने कहा कि सरकार को समयबद्ध तरीके से इस मामले पर गौर करने के लिए जांच करानी चाहिए और रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए।
विषाणु वैज्ञानिक के मुताबिक यूरोपीय स्तर से भारत में आकलन करने पर लक्ष्य के मुताबिक देश में तीस करोड़ लोगों को टीके दिए जाने पर खून का थक्का बनने के 3,000 मामले आ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में एस्ट्राजेनेका की आठ करोड़ खुराकें दी गयी हैं तो ऐसे में 320 मामले आने चाहिए। कांग ने कहा कि यह बहुत कम खतरा है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लूर में प्रोफेसर कांग ने कहा कि यूरोपीय मेडिसीन एजेंसी (ईएमए) के मुताबिक यूरोपीय स्तर के आकलन से एस्ट्राजेनेका टीके से खून के थक्के बनने का खतरा एक लाख मामलों में एक का है और ब्रिटिश नियामक द्वारा 250,000 पर एक मामले की सूचना दी गयी है।
खून का थक्का बनने की आशंका के कारण एस्ट्राजेनेका के कोरोना वायरस के टीके के इस्तेमाल को रोक दिया है या इसे सीमित कर दिया है।
कांग ने ‘द वायर’ को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘टीका लेने के बाद खून का थक्का बनने के कुछ मामले आ सकते हैं। इसकी आशंका रहती है। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या कम प्लेटलेट काउंट से खून के थक्का बनने का मामला जुड़ा है।’’
कांग ने कहा कि सरकार को समयबद्ध तरीके से इस मामले पर गौर करने के लिए जांच करानी चाहिए और रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए।
विषाणु वैज्ञानिक के मुताबिक यूरोपीय स्तर से भारत में आकलन करने पर लक्ष्य के मुताबिक देश में तीस करोड़ लोगों को टीके दिए जाने पर खून का थक्का बनने के 3,000 मामले आ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में एस्ट्राजेनेका की आठ करोड़ खुराकें दी गयी हैं तो ऐसे में 320 मामले आने चाहिए। कांग ने कहा कि यह बहुत कम खतरा है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
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