न्यायालय ने सरकारी अधिकारियों को बार-बार बुलाने को बताया अनावश्यक उत्पीड़न
punjabkesari.in Wednesday, Apr 07, 2021 - 10:05 PM (IST)
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अदालतों द्वारा सरकार के उच्च अधिकारियों को बार-बार तलब किए जाने के चलन पर अप्रसन्नता जतायी तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ऐसे एक कदम को "अधिकारियों का अनावश्यक उत्पीड़न" करार दिया।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश पर गौर करने के बाद ‘हैरान’है और यह नहीं समझ पा रहा है कि अधिकारियों को बुलाने से कौन सा मकसद पूरा हो रहा है जबकि सर्वोच्च अदालत ने पहले ही राज्य सरकार के एक कर्मचारी को मजदूरी के भुगतान से संबंधित मामले में पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के दो मार्च के आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के दो अधिकारियों को तलब किया गया था और अवमानना कार्यवाही शुरू की गयी थी।
पीठ ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि अनावश्यक रूप से अधिकारियों को अदालत में बुलाने के चलन को लेकर शीर्ष अदालत ने कई अवसरों पर न्यायिक घोषणाओं के जरिए अप्रसन्नता जतायी है।
पीठ ने कहा कि जितने अधिक अधिकार होते हैं, उनके उपयोग में उतनी ही जिम्मेदारी भी होनी चाहिए।
न्यायालय दो मार्च के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। न्यायालय ने कहा कि उसने राज्य सरकार द्वारा 22 फरवरी, 2021 को दायर अपील पर नोटिस जारी किया है और पिछले साल पांच मार्च के आदेश पर रोक लगा दी है।
पीठ ने गौर किया कि न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद उच्च न्यायालय ने दो मार्च 2021 को पांच मार्च, 2020 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए दोनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश पर गौर करने के बाद ‘हैरान’है और यह नहीं समझ पा रहा है कि अधिकारियों को बुलाने से कौन सा मकसद पूरा हो रहा है जबकि सर्वोच्च अदालत ने पहले ही राज्य सरकार के एक कर्मचारी को मजदूरी के भुगतान से संबंधित मामले में पिछले आदेश पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के दो मार्च के आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के दो अधिकारियों को तलब किया गया था और अवमानना कार्यवाही शुरू की गयी थी।
पीठ ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि अनावश्यक रूप से अधिकारियों को अदालत में बुलाने के चलन को लेकर शीर्ष अदालत ने कई अवसरों पर न्यायिक घोषणाओं के जरिए अप्रसन्नता जतायी है।
पीठ ने कहा कि जितने अधिक अधिकार होते हैं, उनके उपयोग में उतनी ही जिम्मेदारी भी होनी चाहिए।
न्यायालय दो मार्च के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। न्यायालय ने कहा कि उसने राज्य सरकार द्वारा 22 फरवरी, 2021 को दायर अपील पर नोटिस जारी किया है और पिछले साल पांच मार्च के आदेश पर रोक लगा दी है।
पीठ ने गौर किया कि न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद उच्च न्यायालय ने दो मार्च 2021 को पांच मार्च, 2020 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए दोनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।