टाटा-मिस्त्री मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाएगा उच्चतम न्यायालय
punjabkesari.in Thursday, Mar 25, 2021 - 11:27 PM (IST)
नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय टाटा-मिस्त्री मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। टाटा संस प्राइवेट लि. और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ क्रॉस अपील दायर की थी, जिसपर शीर्ष न्यायालय कल फैसला सुनाने जा रहा है।
एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर डाली गई सूचना के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाएगी।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी सुब्रमण्यम भी शामिल हैं। पीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।
शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को न्यायालय से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना ‘खूनी खेल’ और ‘घात’ लगाकर किया गया हमला था। यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था।
वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर डाली गई सूचना के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाएगी।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी सुब्रमण्यम भी शामिल हैं। पीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।
शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को न्यायालय से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना ‘खूनी खेल’ और ‘घात’ लगाकर किया गया हमला था। यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था।
वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था।
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