बंदरगाह क्षेत्र में हो रहा 82 अरब डालर का निवेश, वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित किया

punjabkesari.in Tuesday, Mar 02, 2021 - 05:25 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंदरगाह क्षेत्र में 15 वर्ष में 82 अरब डालर का निवेश आकर्षित करने की भारत की योजना का जिक्र करते हुए मंगलवार को कहा कि वैश्विक निवेशकों से भारत को अपना पसंदीदा निवेश स्थल बनाने को कहा।
उन्होंने कहा कि 2035 तक भारत में समुद्री नौवहन क्षेत्र में 82 अरब डालर यानी छह लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि समुद्री नौवहन क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढाया जएगा, जलमार्गों का विकास होगा, समुद्री विमान सेवायें शुरू होंगी और तटीय क्षेत्रों में प्रकाशस्तंभों को पर्यटन स्थल के तौर पर विकासित किया जायेगा।
समुद्री नौवहन क्षेत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये प्रधानमंत्री ने वैश्विक निवेशकों से कहा कि समुद्री नौवहन क्षेत्र में निवेशकों के लिये 31 अरब डालर की 400 परियेाजनाओं का खाका तैयार हैं। इन परियोजनाओं में निवेश कर निवेशक भारत की आर्थिक विकास यात्रा में भागीदार बन सकते हैं।
मोदी ने कहा कि सागरमाला परियोजना के तहत 574 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है। इन पर 82 अरब डालर यानी छह लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इन परियोजनाओं पर 2035 तक काम पूरा किया जाना है। ‘‘हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करेंगे ... भारत की लंबी तटीय रेखा आपकी प्रतीक्षा कर रही है, भारत के मेहनतकश लोग आपकी राह देख रहे हैं। हमारे बंदरगाह में निवेश कीजिये, हमारे लोगों में निवेश करें और भारत को अपना पसंदीदा व्यापार स्थल बनायें। अपने व्यापार और वाणिज्य के लिये भारतीय बंदरगाहों को अपना बंदरगाह बनायें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने निवेश योग्य 400 परियोजनाओं की सूची तैयार की हुई है जिसमें 31 अरब डालर यानी करीब 2.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है। इससे समूचे समुद्री नौवहन क्षेत्र के समग्र विकास की भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इस भारतीय समुद्री नौवहन सम्मेलन के जरिये मैं दुनियाभर के निवेशकों को भारत में आमंत्रित करना चाहता हूं, वह भारत आयें और उसकी विकास यात्रा में भागीदार बनें। भारत दुनिया की प्रमुख समुद्री अर्थव्यवस्था के तौर पर उभर रहा है। हम इस क्षेत्र में मौजूदा ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने, नई पीढ़ी की अवसंरचना का सृजन करने और सुधारों की अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने पर खासतौर से ध्यान दे रहे हैं। इन कदमों के जरिये हम अपनी आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को हासिल करने का लक्ष्य कर रहे हैं।’’
मोदी ने कहा कि सरकार अगले दस साल में 23 जलमार्गों को परिचालन में लाने पर काम कर रही है। ‘‘हमारी सरकार जलमार्गों के क्षेत्र में इस तरह से काम कर रही है जैसा पहले कभी नहीं हुआ। घरेलू जलमार्गों को लागत के हिसाब से काफी प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल पाया गया है।’’
उन्होंने कहा कि ढांचागत सुविधाओं के विस्तार, दिशासूचक प्रणाली और नदी सूचना प्रणाली व्यवस्था के जरिये क्षेत्रीय संपर्क बेहतर बनाने पर भी ध्यान दिया जायेगा। इससे बांग्लादेश, भूटान और म्यांतार के लिये भी बेहतर आवागमन सुनिश्चित हो सकेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तटीय सीमा के साथ 189 प्रकाशस्तंभ हैं इनमें से 78 प्रकाशस्तंभ को बड़े पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की योजना है। ‘‘यह काम मौजूदा प्रकाशस्तंभों के आसपास के इलाके को और विस्तार देकर किया जायेगा। उन्हें बेहतर समुद्री क्षेत्र पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जायेगा। इसके साथ ही सरकार ने टापुओं के भी समग्र विकास की पहल की है।’’
प्रकाशस्तंभ का समुद्री नौवहन क्षेत्र में विशेष महत्व होता है। ये प्रकाशस्तंभ समुद्र तट पर स्थित होते हैं और इनसे समुद्री जलपोतों को मार्गदर्शन में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा कि सरकार इसके साथ ही समुद्री नौवहन क्षेत्र में स्वच्छ अक्षय ऊर्जा के इसतेमाल को भी बढ़ावा दे रही है। ‘‘हम देशभर में सभी प्रमुख बंदरगाहों पर सौर और पवन ऊर्जा आधारित विद्युत प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। हम 2030 तक सभी बंदरगाहों में इस्तेमाल होने वाली कुल बिजली में से 60 प्रतिशत से अधिक बिजली नवीनीकरण ऊर्जा से इस्तेमाल में लाने का उद्देश्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं।’’
मोदी ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों पर माल लेकर आने और जाने वाले जलयानों को अब अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत समुद्री नौवहन क्षेत्र में विकास को लेकर बहुत गंभीर है, इसके साथ ही भारत अब दुनिया की समुद्री अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक प्रमुख ताकत के तौर पर उभर रहा है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार घरेलू स्तर पर जहाजों के निर्माण और उनकी मरम्मत का बाजार विकसित करने पर भी ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर जलपोतों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये भारतीय शिपयार्ड के वास्ते एक वित्तीय सहायता नीति को मंजूरी दी गई है।
बंदरगाहों पर माल परिवहन की क्षमता को बढ़ाने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि इस दिशा में किये गये प्रयासों के परिणामस्वरूप देश के प्रमुख बंदरगाहों की माल परिवहन क्षमता 2014 के 87 करोड़ टन से बढ़कर 155 करोड़ टन सालाना तक पहुंच गई है। इससे हमारे बंदरगाह अधिक प्रतिस्पर्धी हुये हैं और समग्र अर्थव्यवस्था को इससे बढ़ावा मिला है।
मोदी ने इस अवसर पर एक ई- बुक को भी जारी किया। यह ई- बुक मेरीटाइम इंडिया विजन (एमआईवी) 2030 पर जारी की गई है। इसमें विभिन्न बंदरगाह क्षेत्रों में तीन लाख करोड़ रुपये के निवेश के बारे में बताया गया है और प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तौर पर 20 लाख रोजगार के सृजन की बात कही गई है।

बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री मनसुख मांडविया ने इस अवसर पर कहा कि जलपोतों के पुनर्चक्रण कानून 2019 के बन जाने के बाद इस क्षेत्र में भारत को वैश्विक जलपोत पुनर्चक्रण कारोबार में 50 प्रतिशत हिस्सा मिलने की उम्मीद है।




यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News

Related News