अनधिकृत निर्माण : उच्च न्यायालय ने एनजीओ को एक लाख रुपये जुर्माना लगाया
punjabkesari.in Monday, Mar 01, 2021 - 03:41 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका खारिज करते हुए उसे एक लाख रुपये मुकदमा खर्च के तौर पर जमा कराने का आदेश दिया।
अदालत ने कथित अनधिकृत निर्माण के आधार पर दक्षिण दिल्ली के देवली इलाके की 40 से अधिक इमारतों को गिराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह ब्लैकमेल याचिका है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल एवं न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने याचिका को सुनने से इनकार करते हुए रेखांकित किया कि एनजीओ प्रेरणा एक दिशा फाउंडेशन ने इस जनहित याचिका के पक्षकार के तौर पर इमारतों के मालिकों को सूचित नहीं किया।
पीठ ने कहा, ‘‘यह कथित जनहित याचिका ब्लैकमेलिंग याचिका लगती है। एक लाख रुपये के मुकदमे खर्च के साथ याचिका खारिज की जाती है जिसे विधि सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि निर्माण की वैधता एवं अवैधता साबित करने के लिए पुख्ता सबूत की जरूरत है।
इसके अलावा अदालत ने एक अन्य जनहित याचिका पर 25 हजार रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में जमा करने का आदेश दिया जिसमें दक्षिण दिल्ली में कथित अवैध निर्माण होने एवं असुविधा होनेका दावा किया गया था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अदालत ने कथित अनधिकृत निर्माण के आधार पर दक्षिण दिल्ली के देवली इलाके की 40 से अधिक इमारतों को गिराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि यह ब्लैकमेल याचिका है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल एवं न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने याचिका को सुनने से इनकार करते हुए रेखांकित किया कि एनजीओ प्रेरणा एक दिशा फाउंडेशन ने इस जनहित याचिका के पक्षकार के तौर पर इमारतों के मालिकों को सूचित नहीं किया।
पीठ ने कहा, ‘‘यह कथित जनहित याचिका ब्लैकमेलिंग याचिका लगती है। एक लाख रुपये के मुकदमे खर्च के साथ याचिका खारिज की जाती है जिसे विधि सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि निर्माण की वैधता एवं अवैधता साबित करने के लिए पुख्ता सबूत की जरूरत है।
इसके अलावा अदालत ने एक अन्य जनहित याचिका पर 25 हजार रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में जमा करने का आदेश दिया जिसमें दक्षिण दिल्ली में कथित अवैध निर्माण होने एवं असुविधा होनेका दावा किया गया था।
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