विज्ञान को ‘प्रयोगशाला से खेती-किसानी की ओर’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा: मोदी

punjabkesari.in Sunday, Feb 28, 2021 - 12:55 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विज्ञान को प्रयोगशाला से खेती-किसानी की ओर आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि इसे सिर्फ भौतिकी और रसायन तक सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि विज्ञान की शक्ति का ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान में भी बहुत योगदान है।

आकाशवाणी के ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम की 74वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने देशवासियों को ‘‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’’ की शुभकामनाएं दीं और कहा कि जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा।

महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के अनगिनत वैज्ञानिक हैं जिनके योगदान के बिना विज्ञान आज इतनी प्रगति नहीं कर सकता था। उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों की तरह देशवासियों को भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जरूर चाहूंगा कि हमारे युवा भारत के वैज्ञानिकों को और उनके इतिहास को समझें और खूब पढ़ें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब विज्ञान की बात होती है तो कई बार इसे लोग भौतिकी और रसायन या फिर प्रयोगशालाओं तक ही सीमित कर देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन विज्ञान का विस्तार तो इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में विज्ञान की शक्ति का बहुत योगदान भी है। हमें विज्ञान को ‘लैब टू लैंड’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा।’’
उन्होंने कुछ किसानों के उदाहरण भी दिए जो वैज्ञानिक तौर तरीकों से खेती कर रहे हैं और ना सिर्फ अपनी आय बढ़ा रहे हैं बल्कि अपनी पहचान भी स्थापित कर रहे हैं।

हैदराबाद के किसान चिंतला वेंकट रेड्डी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गेहूं और चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित किया जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी महीने उन्हें जेनेवा स्थित विश्व बौद्धिक संपदा संगठन से पेटेंट भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।’’
इस कड़ी में उन्होंने लद्दाख के उरगेन फुत्सौग द्वारा जैविक खेती के जरिए 20 फसलें उगाने और फसलों के अवशेषों को खाद के रूप में इस्तेमाल करने तथा गुजरात के पाटन जिले के कामराज भाई चौधरी द्वारा सहजन के अच्छे बीज विकसित करने और उसे तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाने का जिक्र किया।

‘चिया सीड्स’ की दुनिया में बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मंगवाते हैं, लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती हो रही है।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के किसान हरिश्चंद्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चिया सीड्स की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी।’’
कृषि अवशेषों से धन कमाने की दिशा में देश में हो रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने मदुरै के मुरुगेसन का जिक्र किया और बताया कि उन्होंने केले के अवशेषों से रस्सी बनाने की एक मशीन बनाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुरुगेसन जी के इस नवोत्पाद से पर्यावरण और गंदगी का भी समाधान होगा तथा किसानों के लिए अतिरिक्त आय का रास्ता भी बनेगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन लोगों के बारे में देश को बताने का उनका मकसद इतना है कि लोग उनसे प्रेरणा लें।

उन्होंने कहा, ‘‘जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा। और मुझे विश्वास है कि ऐसा देश का हर नागरिक कर सकता है।’’


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