मध्यम अवधि में प्रभावित हो सकती है भारत की राजकोषीय स्थिति : मूडीज
punjabkesari.in Wednesday, Feb 03, 2021 - 07:12 PM (IST)
नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि भारत का राजकोषीय घाटे का अनुमान उम्मीद से कहीं ऊंचा है। यदि अर्थव्यवस्था की मजबूती की रफ्तार सुस्त रहती है, तो मध्यम अवधि में भारत की राजकोषीय स्थिति प्रभावित हो सकती है।
अमेरिकी एजेंसी ने कहा कि उसका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में स्थिर मूल्य पर भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़कर 17 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। यह बजट में लगाए गए 14.4 प्रतिशत के अनुमान से अधिक होगा।
मूडीज के उपाध्यक्ष विलियम फॉस्टर ने कहा कि राजकोषीय घाटे का अनुमान एजेंसी के अनुमान से अधिक है, लेकिन इससे पूर्व के वर्षों के बजट की तुलना में विश्वसनीय बजटीय आकलन और अधिक पारदर्शिता का पता चलता है।
फॉस्टर ने कहा, ‘‘बजट वद्धि को प्रोत्साहन के लिए ऊंचे पूंजीगत खर्च, वित्तीय क्षेत्र सुधार और संपत्ति की बिक्री पर केंद्रित है। लेकिन कार्यान्वयन के जोखिम कायम हैं। राजकोषीय मोर्चे पर मजबूती की रफ्तार सुस्त रहने से मध्यम अवधि में भारत की राजकोषीय स्थिति प्रभावित होगी।’’
बजट में वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी खर्च और अधिक सतर्क राजस्व आकलन की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार का राजकोषीय घाटा काफी ऊंचा रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
मूडीज के नोट में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि चौथी तिमाही में राजस्व संग्रह मजबूत रहने की वजह से अंतिम आंकड़ा इससे कहीं कम होगा।’’
बजट में अगले वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
मूडीज के नोट ‘‘भारत का बजट वृहद आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देगा, पर राजकोषीय मजबूत की संभावनाएं कमजोर’ में कहा गया है कि हमारा अनमान है कि 2020-21 में स्थिर मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि 17 प्रतिशत के करीब रहेगी।’’
मूडीज का मानना है कि आर्थिक परिस्थितियों में सुधार तथा वित्तीय बाजारों के समर्थन से 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल हो सकता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अमेरिकी एजेंसी ने कहा कि उसका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में स्थिर मूल्य पर भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़कर 17 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। यह बजट में लगाए गए 14.4 प्रतिशत के अनुमान से अधिक होगा।
मूडीज के उपाध्यक्ष विलियम फॉस्टर ने कहा कि राजकोषीय घाटे का अनुमान एजेंसी के अनुमान से अधिक है, लेकिन इससे पूर्व के वर्षों के बजट की तुलना में विश्वसनीय बजटीय आकलन और अधिक पारदर्शिता का पता चलता है।
फॉस्टर ने कहा, ‘‘बजट वद्धि को प्रोत्साहन के लिए ऊंचे पूंजीगत खर्च, वित्तीय क्षेत्र सुधार और संपत्ति की बिक्री पर केंद्रित है। लेकिन कार्यान्वयन के जोखिम कायम हैं। राजकोषीय मोर्चे पर मजबूती की रफ्तार सुस्त रहने से मध्यम अवधि में भारत की राजकोषीय स्थिति प्रभावित होगी।’’
बजट में वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी खर्च और अधिक सतर्क राजस्व आकलन की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार का राजकोषीय घाटा काफी ऊंचा रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
मूडीज के नोट में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि चौथी तिमाही में राजस्व संग्रह मजबूत रहने की वजह से अंतिम आंकड़ा इससे कहीं कम होगा।’’
बजट में अगले वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
मूडीज के नोट ‘‘भारत का बजट वृहद आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देगा, पर राजकोषीय मजबूत की संभावनाएं कमजोर’ में कहा गया है कि हमारा अनमान है कि 2020-21 में स्थिर मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि 17 प्रतिशत के करीब रहेगी।’’
मूडीज का मानना है कि आर्थिक परिस्थितियों में सुधार तथा वित्तीय बाजारों के समर्थन से 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल हो सकता है।
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