सरकार ने वित्तवर्ष 2022 में कृषि ऋण लक्ष्य में 10 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव किया

punjabkesari.in Monday, Feb 01, 2021 - 06:12 PM (IST)

नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) किसानों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आम बजट में कृषि ऋण वितरण लक्ष्य में 10 प्रतिशत वृद्धि बढ़ोतरी कर इसे 16.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा है।
बजट में किसानों की आय में सुधार के उद्देश्य से फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए 100 प्रतिशत तक के कृषि आधारभूत ढांचा एवं विकास उपकर का प्रस्ताव किया।
वित्त मंत्री ने ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष और सूक्ष्म सिंचाई निधि के लिए अधिक आवंटन का प्रस्ताव किया है और बुनियादी ढांचा सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कृषि बुनियादी ढांचा कोष को एपीएमसी तक विस्तारित किया।
सरकार ने मछली पकड़ने के बंदरगाह, मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास और समुद्री शैवाल (समुद्री वनस्पति) की खेती को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त निवेश का प्रस्ताव किया है।
संसद में पहला डिजिटल बजट पेश करते हुए, सीतारमण ने कहा कि कृषि संबंधित प्रस्ताव से ‘‘राष्ट्र प्रथम, किसानों की आय को दोगुना करने, मजबूत बुनियादी ढांचा के संकल्प ..’’ को और मजबूती मिलेगी।
मंत्री ने कहा कि किसानों को पर्याप्त ऋण प्रदान करने के लिए, ‘‘मैंने वित्तवर्ष 2022 में कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। हम पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन के लिए ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’ हालांकि अगले वित्तवर्ष के लिए निर्धारित कृषि ऋण का लक्ष्य, चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
किसानों को अधिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए खेती के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, वित्त मंत्री ने कुछ वस्तुओं पर 2.5 से 100 प्रतिशत की सीमा में कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (एआईडीसी) का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा, ‘‘कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार की तत्काल आवश्यकता है, ताकि हम कृषि उत्पादन को कुशलता से संरक्षित और प्रसंस्करण करते हुए अधिक उत्पादन करें। यह हमारे किसानों के लिए बढ़े हुए लाभ को सुनिश्चित करेगा।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि, इस उपकर को लागू करते समय, सरकार ने ध्यान दिया है कि अधिकतर वस्तुओं पर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ न डाला जाए।
पिछले साल सरकार ने फसल कटाई के बाद की बुनियादी ढांचा सुविधाओं के लिए रियायती दरों पर परियोजनाओं के वित्तपाोषण हेतु एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष की घोषणा की थी।
नए उपकर के अलावा, मंत्री ने कहा कि कृषि अवसंरचना कोष को कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को भी उनकी अवसंरचना सुविधाओं को बढ़ाने के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
मंत्री ने ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि के आवंटन को 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये करने और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के तहत बनाए गए सूक्ष्म सिंचाई निधि के कोष को वर्तमान 5,000 करोड़ रुपये से दोगुना करने का भी प्रस्ताव रखा है।
कृषि और संबद्ध उत्पादों और उनके निर्यात में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए, वित्त मंत्री ने कहा कि ''ऑपरेशन ग्रीन स्कीम'' का दायरा जो वर्तमान में टमाटर, प्याज और आलू पर लागू है, को 22 जल्दी खराब होंने की संभावना वाले उत्पादों को शामिल करने के लिए बढ़ाया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पर, उन्होंने कहा कि लगभग 1.68 करोड़ किसान पंजीकृत हुए हैं और 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ई-नाम कृषि बाजार की वजह से बाजार में आयी पारदर्शिता एवं प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए और 1,000 मंडियों को ई-नाम के साथ एकीकृत किया जाएगा।’’ मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, मंत्री ने आधुनिक मछली पकड़ने के बंदरगाह और मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास में पर्याप्त निवेश का प्रस्ताव दिया।
उन्होंने कहा कि आरंभ में मछली पकड़ने के पांच प्रमुख बंदरगाह - कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और पेटुआघाट को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम नदियों और जलमार्गों के किनारे अंतर्देशीय मछली पकड़ने के बंदरगाह और मछली पकड़ने के केंद्र भी विकसित करेंगे।
समुद्री शैवाल की खेती को तटीय भूभाग में रहने वाले समुदायों के जीवन को बदलने की क्षमता वाला एक उभरता हुआ क्षेत्र बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करेगा और अतिरिक्त आय सृजित करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के लिए, मैं एक बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क तमिलनाडु में स्थापित करने का प्रस्ताव करती हूं।’’ सरकारी अनाज खरीद पर, वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मूल्य के आकलन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था में युगांतकारी बदलाव आया है यानी कि यह सभी वस्तुओं पर उत्पादन की लागत का कम से कम 1.5 गुना बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि खरीद के स्तर में भी लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप किसानों को भुगतान में भी वृद्धि हुई है।
सीतारमण ने कहा कि 2013-14 के बाद से किसानों को गेहूं, चावल, दालों और कपास की खरीद पर सरकारी भुगतान में काफी वृद्धि हुई है।
जब मंत्री एमएसपी खरीद के बारे में उल्लेख कर रहे थे, तो विपक्ष ने यह कहते हुए नारे लगाए कि सरकार को नए कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए, जिसके खिलाफ कुछ किसान दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
एमएसपी खरीद के बारे में आगे जानकारी साझा करते हुए, मंत्री ने कहा कि गेहूं खरीद पर सरकार का भुगतान वर्ष 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपये और वर्ष 2013-14 में और बढ़कर 33,874 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया है। एमएसपी भुगतान से वर्ष 2020-21 में करीब 43.36 लाख गेहूं उत्पादक लाभान्वित हुए हैं जबकि इयके पिछले वर्ष 35.57 लाख किसान लाभालन्वित हुए थे।
धान की खरीद पर एमएसपी का भुगतान वर्ष 2019-20 में बढ़कर 1,41,930 करोड़ रुपये हो गया जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1,72,752 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। यह भुगतान वर्ष 63,926 करोड़ रुपये का हुआ था।
दलहन की खरीद के लिए किसानों को किया जाने वाला भुगतान वर्ष 2020-21 में बढ़कर 10,530 करोड़ रुपये का हो गया जो वर्ष 2013-14 के 236 करोड़ रुपये के भुगतान से 40 गुना से भी अधिक है। जबकि इस साल 27 जनवरी तक कपास उत्पादकों का भुगतान बढ़कर 25,974 करोड़ रुपये का हो गया है जो भुगतान वर्ष 2013-14 में मात्र 90 करोड़ रुपये का हुआ था।


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PTI News Agency

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