उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी के बाद कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करें प्रधानमंत्री: कांग्रेस
punjabkesari.in Monday, Jan 11, 2021 - 06:59 PM (IST)
नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत अब तक सफल नहीं होने को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से निराशा जताए जाने के बाद सोमवार को कहा कि अब प्रधानमंत्री को तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करनी चाहिए।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि तीनों को कानूनों को रद्द करने से कम देश के किसानों को कुछ भी मंजूर नहीं है।
सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हाड़ कंपकंपाती सर्दी के बीच किसान देश की राजधानी के बॉर्डर के ऊपर बैठे हैं। देश के उच्चतम न्यायालय ने भी इस पूरे मामले को लेकर गहरी नाराजगी जताई है और वार्ता की विफलता पर निराशा भी जताई।’’ उन्होंने मांग की, ‘‘अब मोदी जी को सामने आकर इस देश से माफी मांगनी चाहिए। देश के किसान और अन्नदाता से माफी मांगनी चाहिए और तीनों कानून खत्म करने की घोषणा करनी चाहिए। देश के किसान की केवल एक मांग है, कोई दूसरी मांग नहीं। इससे कम देश के किसान को कुछ मंजूर नहीं।’’ कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया, ‘‘जब मोदी सरकार खुद कानूनों में 18-18 संशोधन करने को तैयार है, तो साफ है कि ये कानून गलत हैं। अगर ये कानून गलत हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार इनको निरस्त करने, इनको खारिज करने की घोषणा करने से गुरेज क्यों कर रही है?’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को तीनों कानून खत्म करने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से निबटने के तरीके पर सोमवार को केन्द्र को आड़े हाथ लिया और कहा कि किसानों के साथ उसकी बातचीत के तरीके से वह ‘बहुत निराश’ है।
न्यायालय ने कहा कि इस विवाद का समाधान खोजने के लिये वह अब एक समिति गठित करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है। पीठ ने कहा कि हम पहले ही सरकार को काफी वक्त दे चुके हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि तीनों को कानूनों को रद्द करने से कम देश के किसानों को कुछ भी मंजूर नहीं है।
सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हाड़ कंपकंपाती सर्दी के बीच किसान देश की राजधानी के बॉर्डर के ऊपर बैठे हैं। देश के उच्चतम न्यायालय ने भी इस पूरे मामले को लेकर गहरी नाराजगी जताई है और वार्ता की विफलता पर निराशा भी जताई।’’ उन्होंने मांग की, ‘‘अब मोदी जी को सामने आकर इस देश से माफी मांगनी चाहिए। देश के किसान और अन्नदाता से माफी मांगनी चाहिए और तीनों कानून खत्म करने की घोषणा करनी चाहिए। देश के किसान की केवल एक मांग है, कोई दूसरी मांग नहीं। इससे कम देश के किसान को कुछ मंजूर नहीं।’’ कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया, ‘‘जब मोदी सरकार खुद कानूनों में 18-18 संशोधन करने को तैयार है, तो साफ है कि ये कानून गलत हैं। अगर ये कानून गलत हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार इनको निरस्त करने, इनको खारिज करने की घोषणा करने से गुरेज क्यों कर रही है?’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को तीनों कानून खत्म करने की घोषणा के बाद प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से निबटने के तरीके पर सोमवार को केन्द्र को आड़े हाथ लिया और कहा कि किसानों के साथ उसकी बातचीत के तरीके से वह ‘बहुत निराश’ है।
न्यायालय ने कहा कि इस विवाद का समाधान खोजने के लिये वह अब एक समिति गठित करेगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है। पीठ ने कहा कि हम पहले ही सरकार को काफी वक्त दे चुके हैं।
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