सीबीआई ने डीएआरई वैज्ञानिक, अमेरिकी कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया
punjabkesari.in Monday, Jan 04, 2021 - 09:12 PM (IST)
नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) सीबीआई ने 2009 में करीब 10 लाख डॉलर की लागत से रडार उपकरणों के आयात में कथित अनियमितता के लिए रक्षा वैमानिकी अनुसंधान स्थापना (डीएआरई) की एक वैज्ञानिक और एक अमेरिकी कंपनी पर मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने इस बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में डीएआरई में वैज्ञानिक प्रिया सुरेश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी मिलने के बाद एजेंसी ने प्राथमिकी दर्ज की।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में वैज्ञानिक के अलावा कैलिफोर्निया की कंपनी एकॉन इंक का भी नाम शामिल किया है। उन्होंने बताया कि रडार आधारित युद्धक सामग्री में इस्तेमाल होने वाले 35 वीसीओ आरएफ जेनरेटर के लिए भुगतान के बावजूद कंपनी ने सही उपकरणों की आपूर्ति नहीं की।
आरोप है कि वैश्विक निविदा के जरिए उपकरण की आपूर्ति के लिए कंपनी का चयन हुआ था और फरवरी 2009 में तीन किश्तों में 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि वैज्ञानिक को एकॉन के प्रतिनिधियों के जरिए ईमेल से पता था कि वीसीओ आरएफ जेनरेटर के निर्माण प्रक्रिया चल रही है इसके बावजूद उन्होंने 35 वीसीओ आरएफ जेनरेटर की खरीद को मंजूरी दे दी।
आरोप है कि मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के पहले आरंभिक जांच की गयी जिसमें पता चला कि 24 वीसीओ आरएफ जेनरेटर को ‘अपग्रेड’ करने के लिए वापस भेजा गया था जबकि 11 उपकरण डीएआरई के भंडार में ही पड़े हुए थे। इसके बावजूद वैज्ञानिक ने एकॉन को भुगतान की मंजूरी दे दी जबकि उन्हें पता था कि 24 वीसीओ को ‘अपग्रेड’ किया जा रहा है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में डीएआरई में वैज्ञानिक प्रिया सुरेश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी मिलने के बाद एजेंसी ने प्राथमिकी दर्ज की।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में वैज्ञानिक के अलावा कैलिफोर्निया की कंपनी एकॉन इंक का भी नाम शामिल किया है। उन्होंने बताया कि रडार आधारित युद्धक सामग्री में इस्तेमाल होने वाले 35 वीसीओ आरएफ जेनरेटर के लिए भुगतान के बावजूद कंपनी ने सही उपकरणों की आपूर्ति नहीं की।
आरोप है कि वैश्विक निविदा के जरिए उपकरण की आपूर्ति के लिए कंपनी का चयन हुआ था और फरवरी 2009 में तीन किश्तों में 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि वैज्ञानिक को एकॉन के प्रतिनिधियों के जरिए ईमेल से पता था कि वीसीओ आरएफ जेनरेटर के निर्माण प्रक्रिया चल रही है इसके बावजूद उन्होंने 35 वीसीओ आरएफ जेनरेटर की खरीद को मंजूरी दे दी।
आरोप है कि मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के पहले आरंभिक जांच की गयी जिसमें पता चला कि 24 वीसीओ आरएफ जेनरेटर को ‘अपग्रेड’ करने के लिए वापस भेजा गया था जबकि 11 उपकरण डीएआरई के भंडार में ही पड़े हुए थे। इसके बावजूद वैज्ञानिक ने एकॉन को भुगतान की मंजूरी दे दी जबकि उन्हें पता था कि 24 वीसीओ को ‘अपग्रेड’ किया जा रहा है।
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