वार्षिक जेल रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर कैदियों का विवरण शामिल करने को लेकर क्या कदम उठाए गए : अदालत
punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2020 - 09:45 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा कि उसने हालिया ''''वार्षिक जेल सांख्यिकी रिपोर्ट 2019'''' और भविष्य में आने वाली रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर कैदियों का विवरण शामिल करने के लिये क्या कदम उठाए गए?
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र से पूछा कि इस वर्ष सितंबर में सरकार के संज्ञान में लाए गए इस मुद्दे पर उसने क्या कदम उठाए और अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा के मुताबिक, जिसका परीक्षण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जा रहा था।
पीठ ने एएसजी से कहा, '''' निर्देश लें और सात दिसंबर तक हमें बताएं कि आपने इस पर क्या किया? अन्यथा, हम समिति को यहां तलब करेंगे।''''
अदालत खुद को पत्रकार और आपराधिक न्याय एवं अपराध शास्त्र का स्वतंत्र शोधकर्ता करार देने वाले करण त्रिपाठी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में अदालत से ट्रांसजेंडर कैदियों का विवरण वार्षिक जेल रिपोर्ट में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था।
सुनवाई के दौरान त्रिपाठी के वकील अखिल हसीजा ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल ने इस बारे में सितंबर में केंद्र सरकार को एक प्रस्तुति भी दी थी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र से पूछा कि इस वर्ष सितंबर में सरकार के संज्ञान में लाए गए इस मुद्दे पर उसने क्या कदम उठाए और अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा के मुताबिक, जिसका परीक्षण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जा रहा था।
पीठ ने एएसजी से कहा, '''' निर्देश लें और सात दिसंबर तक हमें बताएं कि आपने इस पर क्या किया? अन्यथा, हम समिति को यहां तलब करेंगे।''''
अदालत खुद को पत्रकार और आपराधिक न्याय एवं अपराध शास्त्र का स्वतंत्र शोधकर्ता करार देने वाले करण त्रिपाठी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में अदालत से ट्रांसजेंडर कैदियों का विवरण वार्षिक जेल रिपोर्ट में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था।
सुनवाई के दौरान त्रिपाठी के वकील अखिल हसीजा ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल ने इस बारे में सितंबर में केंद्र सरकार को एक प्रस्तुति भी दी थी।
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