केन्द्र कोविड मरीजों के घर पर पोस्टर नहीं चिपकाने के बारे में दिशानिर्देशों पर विचार करे: न्यायालय
punjabkesari.in Thursday, Nov 05, 2020 - 10:29 PM (IST)
नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केन्द्र से कहा कि वह कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने की व्यवस्था खत्म करने के लिये राष्ट्रव्यापी दिशा निर्देश जारी करने पर विचार करे।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कुश कालरा की याचिका पर नोटिस जारी किये बगैर ही केन्द्र से कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करे। याचिका में इस बारे में दिशा निर्देश बनाने का अनुरोध किया गया है।
इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि जब दिल्ली सरकार पोस्टर चस्पा नहीं करने के बारे में उच्च न्यायालय में राजी हो गयी तो फिर केन्द्र पूरे देश में इसके लिये दिशानिर्देश क्यों नहीं तैयार कर सकता।
पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर से कहा कि वह पूरे देश में ऐसे दिशानिर्देश के बारे में विचार करे।
आप सरकार ने तीन नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा था कि उसने सभी अधिकारियों को हिदायत दी है कि कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर चस्पा नहीं करें और जहां पहले लगाया गया था, उन्हें हटाने के आदेश दिये गये हैं।
सरकार ने यह भी कहा था कि उनके अधिकारियों को कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का विवरण उनके पड़ोसियों या रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन या व्हाटसऐप समूहों में साझा नहीं करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
कालरा ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा था कि कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों का विवरण रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन और व्हाट्सऐप समूहों में धड़ल्ले से साझा किया जा रहा है जिसकी वजह से यह एक कलंक बनता जा रहा है और अनावश्क रूप से लोगों का ध्यान खींच रहा है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कुश कालरा की याचिका पर नोटिस जारी किये बगैर ही केन्द्र से कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करे। याचिका में इस बारे में दिशा निर्देश बनाने का अनुरोध किया गया है।
इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि जब दिल्ली सरकार पोस्टर चस्पा नहीं करने के बारे में उच्च न्यायालय में राजी हो गयी तो फिर केन्द्र पूरे देश में इसके लिये दिशानिर्देश क्यों नहीं तैयार कर सकता।
पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर से कहा कि वह पूरे देश में ऐसे दिशानिर्देश के बारे में विचार करे।
आप सरकार ने तीन नवंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा था कि उसने सभी अधिकारियों को हिदायत दी है कि कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर चस्पा नहीं करें और जहां पहले लगाया गया था, उन्हें हटाने के आदेश दिये गये हैं।
सरकार ने यह भी कहा था कि उनके अधिकारियों को कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का विवरण उनके पड़ोसियों या रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन या व्हाटसऐप समूहों में साझा नहीं करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
कालरा ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा था कि कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों का विवरण रेजीडेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन और व्हाट्सऐप समूहों में धड़ल्ले से साझा किया जा रहा है जिसकी वजह से यह एक कलंक बनता जा रहा है और अनावश्क रूप से लोगों का ध्यान खींच रहा है।
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