मोबाइल फोन कंपनियों का सरकार से टीसीएस का क्रियान्वयन अप्रैल तक टालने का आग्रह
punjabkesari.in Monday, Sep 28, 2020 - 10:39 PM (IST)
नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) मोबाइल फोन कंपनियों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं ने सरकार से स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) को लागू करने की समय सीमा छह महीने बढ़ाकर एक अप्रैल, 2021 करने का आग्रह किया है।
उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर टीसीएस का एक अक्टूबर से क्रियान्वयन को टालने का आग्रह किया है। आईसीईए के सदस्यों में एप्पल, फॉक्सकॉन, विंस्ट्रॉन, लावा आदि शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी, नियमों में स्पष्टता का अभाव और उसी दिन से ई-इन्वॉयस शुरू होने की वजह से टीसीएस का क्रियान्वयन छह महीने आगे बढ़ा दिया जाना चाहिये।
आईसीईए के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 काफी हद तक कोविड-19 महामारी से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि इससे जहां राजस्व घटा है, स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा उपायों को लागू करने से लागत बढ़ी है। वहीं करयोग्य मुनाफे की संभावना काफी कम है।
महेंद्रू ने 23 सितंबर को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हम टीसीएस के क्रियान्वयन को अगले वित्त वर्ष तक के टालने का आग्रह करते हैं। इससे उद्योग पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। इस चुनौतीपूर्ण समय में उद्योग का नकदी का प्रवाह पहले ही घट चुका है।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर टीसीएस का एक अक्टूबर से क्रियान्वयन को टालने का आग्रह किया है। आईसीईए के सदस्यों में एप्पल, फॉक्सकॉन, विंस्ट्रॉन, लावा आदि शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी, नियमों में स्पष्टता का अभाव और उसी दिन से ई-इन्वॉयस शुरू होने की वजह से टीसीएस का क्रियान्वयन छह महीने आगे बढ़ा दिया जाना चाहिये।
आईसीईए के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 काफी हद तक कोविड-19 महामारी से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि इससे जहां राजस्व घटा है, स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा उपायों को लागू करने से लागत बढ़ी है। वहीं करयोग्य मुनाफे की संभावना काफी कम है।
महेंद्रू ने 23 सितंबर को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हम टीसीएस के क्रियान्वयन को अगले वित्त वर्ष तक के टालने का आग्रह करते हैं। इससे उद्योग पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। इस चुनौतीपूर्ण समय में उद्योग का नकदी का प्रवाह पहले ही घट चुका है।’’
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