जसवंत सिंह का निधन, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने जताया शोक

punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 10:22 PM (IST)

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) भाजपा के संस्थापक सदस्य और भारत के विदेश, वित्त व रक्षा मंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाले एवं पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के बेहद करीबी रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह का लंबी बीमारी के बाद रविवार को यहां निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और भाजपा व अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं ने सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।

राजधानी दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

सैन्य अस्पताल ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘बड़े दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का आज सुबह 6.55 बजे निधन हो गया। उन्हें 25 जून को भर्ती कराया गया था। आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ।’’
बयान में कहा गया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने उन्हें बचाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

सिंह का पार्थिव शरीर हवाई मार्ग से दिल्ली से जोधपुर ले जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्हें मुखाग्नि दी।
जोधपुर के सिविल एयरपोर्ट के पास स्थित फार्म हाउस में अंतिम संस्कार के समय सिंह के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार मौजूद थे।
भारतीय सेना की ओर से भी सिंह की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र रखा गया।

पूर्व सैन्य अधिकारी सिंह अगस्त 2014 में अपने घर में गिरने के बाद से ही बीमार थे। उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद से उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस साल जून में उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें उत्कृष्ट सांसद, असाधारण जननेता और बुद्धिजीवी करार देते हुए कहा, ‘‘जसवंत सिंह ने अनेक कठिन भूमिकाओं को सहजता और धैर्य के साथ निभाया। उनके परिवार, मित्रों और सहयोगियों के प्रति मेरी शोक-संवेदना।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, ''''जसवंत जी को राजनीति तथा समाज से संबंधित मामलों में उनके अद्वितीय दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने भाजपा को मजबूती देने में भी योगदान दिया। मैं उनके साथ हुए संवाद को याद कर रहा हूं। मेरी ओर से उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ऊॅं शांति।''''
मोदी ने कहा, ‘‘अटल जी की सरकार में उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों को संभाला और इन क्षेत्रों में गहरी छाप छोड़ी। उनके निधन से दुखी हूं।’’
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सिंह को जब भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजस्थान के बाड़मेर से मैदान में उतरे थे। हालांकि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

जसवंत सिंह ने पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग संसदीय क्षेत्र का भी लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया।

प्रधानमंत्री ने जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह से फोन पर बात की और अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं।

मोदी ने कहा कि जसवंत सिंह बहुत बहादुरी से पिछले छह साल से अपनी बीमारी से लड़ रहे थे।

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि वह एक कुशल प्रशासक, उत्कृष्ट सांसद और एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनमें कोई बुराई नहीं थी।

उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू के हवाले से ट्वीट किया, ''''पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ। वह एक महान नेता थे, जिन्होंने अपनी विभिन्न क्षमताओं से देश की सेवा की।''''
नायडू ने कहा कि वह कुशल प्रशासक, उत्कृष्ट सांसद और एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनमें कोई बुराई नहीं थी।

वयोवृद्ध भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सिंह को अपना सबसे करीबी सहयोगी और प्रिय मित्र बताया तथा कहा कि उनके निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए उनके पास शब्द नहीं है।
आडवाणी ने एक बयान में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार में सिंह ने अकेले और कुशलता से तीन सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों विदेश, रक्षा और विदेश को संभाला। उनके निधन को आडवाणी ने अपनी निजी क्षति बताया।

उन्होंने रेखांकित किया कि राजग सरकार के उन छह वर्षों (वर्ष 1998 से 2004 तक) में कठिन मुद्दों को संभालने के दौरान ‘‘अटलजी, जसवंत जी और मेरे बीच एक विशेष संबंध बन गया था।’’
आडवाणी ने कहा, ‘‘एक व्यक्ति के तौर पर जसवंत जी एक भद्र पुरुष थे और उन्हें मृदुभाषी, विद्वान और गर्मजोशी वाले व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा। वह अपने तीक्ष्ण तार्किक दिमाग के लिए जाने जाते थे और पूरे राजनीतिक जगत में सम्मानित व्यक्ति थे।’’
उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से थे और उन्होंने वर्षों तक पार्टी में अपना योगदान दिया।

मनमोहन सिंह ने जसवंत सिंह को एक योग्य प्रशासक और उत्कृष्ट सांसद बताया और कहा कि देश ने एक कुशल नेता खो दिया है।

जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र को लिखे पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, '''' मुझे आपके पिता जसवंत सिंह जी के निधन का दुखद समाचार सुनकर गहरा दुख हुआ। जसवंत सिंह एक योग्य प्रशासक और उत्कृष्ट सांसद थे। उनके निधन से हमारे देश ने एक कुशल नेता को खो दिया जिन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया।''''
सोनिया गांधी ने मानवेंद्र को लिखे शोक पत्र में कहा, '''' जसवंत सिंह जी के निधन से हमारे राष्ट्रीय और सार्वजनिक जीवन में जो स्थान रिक्त हुआ है उसे भरा नहीं जा सकता। मुझे एक नेक इंसान और एक समर्पित एवं प्रतिष्ठित लोक सेवक के जाने का दुख है।''''
उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना जीवन बेहद सम्मान और निष्ठा के साथ गुजारा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘सरकार व संगठन में विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने (जसवंत सिंह)अपनी कर्तव्यनिष्ठा से एक गहरी छाप छोड़ी। मैं उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ॐ शांति।’’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जसवंत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जसवंत सिंह ने निष्ठापूर्वक भारत की सेवा की।

राजनाथ सिंह ने लिखा, ''''जसवंत सिंह जी को उनकी बौद्धिक क्षमताओं और देश सेवा में बेजोड़ योगदान के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने राजस्थान में भाजपा को मजबूती प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ऊॅं शांति।''''
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि जसवंत सिंह के निधन का समाचार दुःखद है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार में विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने जन-जन के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने में अपना प्रत्येक क्षण समर्पित कर दिया। जसवंत सिंह जी का जाना संगठन, समाज तथा देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार के प्रति मेरी अपार संवेदनाएं।’’
आरएसएस से ताल्लुक न रखने वाले जसवंत को दो बार भाजपा से निष्कासित किया गया। पहली बार उन्हें 2009 में जिन्ना की तारीफ करने पर पार्टी से निकाला गया। हालांकि 2010 में उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की बाड़मेर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उम्मीदवारी वापस लेने से मना करने पर एक बार फिर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

सिंह ने आठ साल तक सेवाएं देने के बाद 1965 में सेना से सेवानिवृत्ति ले ली थी।


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PTI News Agency

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