भाजपा संगठन में बढ़ रहा विद्यार्थी परिषद का दबदबा

punjabkesari.in Sunday, Aug 02, 2020 - 06:19 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद जे पी नड्डा ने अभी तक 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में पार्टी अध्यक्षों की नियुक्ति की है। इनमें से अधिकांश नेताओं की पृष्ठभूमि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की है, जो पार्टी संगठन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की इस छात्र इकाई के बढ़ रहे दबदबे को दर्शाता है।

अध्यक्ष पद पर अपनी नियुक्ति के छह महीने बाद भी नड्डा भले ही अब तक अपनी केंद्रीय टीम का गठन नहीं कर सके हों लेकिन राज्यों में पार्टी संगठन को मजबूत बनाने में उन्हें विद्यार्थी परिषद से निकले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी है।
कुछ चुनिंदा प्रदेश अध्यक्षों को छोड़ दें तो अधिकांश नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्षों ने विद्यार्थी परिषद की सीढ़ी पर चढ़ते हुए संगठन में ये मुकाम हासिल किया है।

नड्डा ने विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि वाले जिन नेताओं को विभिन्न प्रदेशों में संगठन की जिम्मेदारी सौंपी हैं उनमें महाराष्ट्र के अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता और हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ प्रमुख हैं।

इनके अलावा नड्डा के कार्यकाल में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त केरल के के सुरेंद्रन, तमिलनाडू के एल मुरूगन और आंध्र प्रदेश के अध्यक्ष सोमु वीर राजू भी विद्यार्थी परिषद में अहम पदों पर योगदान दे चुके हैं।

नड्डा की पृष्ठभूमि भी विद्यार्थी परिषद की रही है। वे विद्यार्थी परिषद में कई अहम पदों पर काम करने के बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा से होते हुए भाजपा में इस महत्वपूर्ण पद पर पहुंचे हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने जिन नेताओं की प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की है, उनमें कुछ ऐसे भी हैं जो उनके साथ विद्यार्थी परिषद में काम कर चुके हैं।

अध्यक्ष बनने के बाद नड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर सबसे पहली नियुक्ति महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष के रूप में चंद्रकांत दादा पाटिल और मुंबई महानगर अध्यक्ष के रूप में मंगल प्रभात लोढा की की।

पाटिल 1977 में विद्यार्थी परिषद से जुड़े और 1980 में संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बने। बाद में वे जिला मंत्री, प्रदेश मंत्री के बाद क्षेत्रीय मंत्री का पदभार संभाला। वे विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री बने और 2004 में भाजपा में शामिल हो गए।

लोढा भी विद्यार्थी परिषद के सक्रिय सदस्य रहे और पांच बार मुंबई की मालाबार हिल का विधानसभा में प्रतिनिधत्व किया।

नड्डा ने इसके बाद लंबे अरसे तक विद्यार्थी परिषद में काम करने वाले विष्णु दत्त शर्मा को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी। साल 1993 से 1994 तक शर्मा विद्यार्थी परिषद की मध्य प्रदेश इकाई में सचिव रहे। इसके बाद 1995 से 2013 तक संगठन के प्रचारक रहे। इसके बाद उन्हें विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव के पद की जिम्मेदारी संभाली। 2007 से 2009 तक वे विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे। साल 2013 में वह भाजपा में शामिल हुए।

झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी विद्यार्थी परिषद में कई अहम जिम्मेदारियां निभाने के बाद भाजपा में आये। विद्यार्थी परिषद में वे नगर मंत्री, जिला प्रमुख, विभाग प्रमुख, विश्वविद्यालय प्रमुख और राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य तक बने।

हरियाणा में भाजपा के नवनियुक्त अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने भी अपने जीवन के 16 प्रमुख साल विद्यार्थी परिषद में बिताए और फिर जाकर प्रदेश में कई अहम पदों पर पहुंचे और प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने।

दिल्ली भाजपा के नवनियुक्त अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता भी 90 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम कर चुके हैं। वे नड्डा के साथ भी विद्यार्थी परिषद में काम कर चुके हैं। इसके बाद वे युवा मोर्चा के रास्ते भाजपा में पहुंचे।

भाजपा में सत्ता के शिखर पर पहुचने के लिए विद्यार्थी परिषद को सबसे बड़ी और मजबूत सीढ़ी माना जाता रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केबिनेट में लगभग एक दर्जन से अधिक मंत्री विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि से हैं।

इनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन, राजमार्ग और नौवहन मंत्री नितिन गडकरी, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर, पेट्रोलियम और ऊर्जा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान प्रमुख रूप से शामिल हैं।

भाजपा में विद्यार्थी परिषद से निकले कार्यकर्ताओं के बढ़ते दबदबे के बारे में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व संगठन मंत्री और आरएसएस के सह प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर से पीटीआई-भाषा ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि यह तो गौरव की बात हैं।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद के लोग जीवन के हर क्षेत्र में जा रहे हैं। राजनीति में भी जा रहे हैं। विद्यार्थी परिषद का काम हर क्षेत्र में अच्छे लोगों को तैयार करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘आवश्यकता और परिस्थितियों के अनुसार परिषद के कार्यकर्ता अपनी जगह बनाते हैं।’’
उन्होंने इस बात से इंकार किया कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं का रूझान राजनीति की ओर अधिक होता है।

आम्बेकर ने कहा, ‘‘चूंकि पत्रकारों का रुझान राजनीति की ओर अधिक होता है, इसलिए उन्हें ऐसा दिखता है। नहीं तो परिषद के कार्यकर्ता ऐसे अनेक क्षेत्रों में अच्छा काम कर रहे हैं जहां मीडिया की नजर नहीं पहुंच पाती है। वैसे भी राजनीति में जाने में बुराई क्या है। वहां भी तो अच्छे लोग चाहिए।’’
विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री श्रीनिवास ने बताया कि विद्यार्थी परिषद नैसर्गिक नेतृत्व पैदा करता है जो कैम्पस में तपकर कुंदन बनते हैं और फिर राष्ट्र निर्माण में योगदान करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां नैसर्गिक नेतृत्व पैदा होता है। ये वंशवाद और परम्परागत राजनीतिक परिवारों से आने की बजाय सामान्य परिवारों से होते हैं और परिश्रम की पराकाष्ठा से अपना स्थान बनाते हैं। समाज के सभी विषयों को संजीदगी से समझने वाले संवेदशील कार्यकर्ता होते हैं। ऐसे तपे-तपाए लोग अगर राजनीति में और देश की नीतियों में महत्वपूर्ण भमिका निभा रहे हैं तो ये विद्यार्थी परिषद के लिए संतोष का विषय है।’’
श्रीनिवास ने कहा कि जब सभी राजनीतिक दलों में इस प्रकार के लोग जाएंगे तो राजनीति में भी संस्कार और राष्ट्रीयता के भाव आएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘केवल एक राजनीतिक पार्टी ही नहीं सभी राजनीतिक दलों में इस प्रकार के लोगों की आवश्यकता है।’’

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PTI News Agency

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