कोयला खदानों की नीलामी के खिलाफ झारखंड की याचिका पर न्यायालय ने केन्द्र से मांगा जवाब

punjabkesari.in Tuesday, Jul 14, 2020 - 03:31 PM (IST)

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वाणिज्यिक खनन के लिये कोयला खदानों की नीलामी के सरकार के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिकाओं पर मंगलवार को केन्द्र से जवाब मांगा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने झारखंड सरकार की याचिका और अलग से दायर वाद पर जवाब देने के लिये केन्द्र को चार सप्ताह का वक्त दिया है। इन याचिकाओं में राज्य सरकार ने कोयला खदानों को नीलाम करने के केन्द्र के निर्णय पर सवाल उठाये हैं और कहा है कि केन्द्र ने उससे परामर्श के बगैर ही इस तरह की एकतरफा घोषणा की है।

पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एफ एस नरीमन और अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि वह इस मामले में नोटिस जारी कर रही है और इस पर रोक लगाने के बारे में सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा कि इस मामले को यथाशीघ्र सूचीबद्ध किया जा रहा है।

नरीमन ने पीठ से कहा कि यदि इस मामले को सुनवाई के लिये 18 अगस्त से पहले सूचीबद्ध किया जायेगा तो बेहतर होगा क्योंकि तब तक नीलामी हो जायेगी।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि यह तारीख आगे बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि अटार्नी जनरल इस पर गौर करेंगे।

शीर्ष अदालत ने छह जुलाई को कहा था कि वह 41 कोयला खदानों की वाणिज्यिक खनन के लिये नीलामी के केन्द्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका और राज्य सरकार द्वारा दायर वाद पर एक साथ सुनवाई करेगा।
झारखंड सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केन्द्र के खिलाफ यह वाद दायर किया है।
राज्य सरकार ने अपने वाद में दावा किया है केन्द्र का कोविड-19 महामारी के दौरान कोयला खदानों की नीलामी का निर्णय बहुत अनुचित है क्योंकि यह समय इस संक्रमण से पीड़ित जनता की परेशानियों को कम करने का है।

वाद में यह भी दावा किया गया है कि झारखंड की सीमा में स्थित नौ कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी करने के लिये केन्द्र के मनमाने, निरंकुश, एकतरफा और गैरकानूनी कार्रवाई के खिलाफ दायर किया गया है।

वाद में कहा गया है कि ये कोयला खदान उसके क्षेत्र में स्थित हैं और इन पर उसका स्वामित्व है।

वाद के अनुसार इस संबंध में फरवरी, 2020 में हुई बैठकें निरर्थक हो चुकी हैं क्येांकि अब कोविड-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा गया है। राज्य सरकार का कहना है कि इसके लिये अब नये सिरे से परामर्श की आवश्यकता है।

झारखंड सरकार ने अपने वाद में संविधान की पांचवीं अनुसूची का भी हवाला दिया है जो आदिवासी इलाकों और आदिवासियों के बारे में है। राज्य सरकार ने कहा है कि झारखंड में नौ कोयला खदानों में से छह-छकला, छितरपुर, उत्तरी धाडू, राजहरा उत्तर, सेरगढ़ ओर उर्मा पहाड़ीटोला- पांचवीं अनुसूची में शामिल इलाकों में स्थित हैं।

वाद के अनुसार झारखंड की 3,29, 88,134 आबादी में से 1,60,10,448 लोग आदिवासी इलाकों में रहते हैं।

राज्य सरकार का यह भी दावा है कि केन्द्र सरकार की कार्रवाई से पर्यावरण मानकों का उल्लंघन होता है और कोयला खदानों की नीलामी से पर्यावरण, वन और भूमि को अपूरणीय नुकसान हो जायेगा।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News