अदालत ने जेल प्रशासन से कैदियों, परिवारों के लिए वीडियो कान्फ्रेंस सुविधा पर विचार करने को कहा

punjabkesari.in Friday, Jul 10, 2020 - 03:54 PM (IST)

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जेल प्राधिकारियों को सुझाव दिया कि कोविड-19 महामारी की वजह से मुलाकातियों पर लगी रोक के दौरान वे कैदियों की उनके परिवार के साथ वीडियो कान्फ्रेंस की जरूरत पर विचार करें।

अदालत ने साथ ही स्पष्ट किया कि वह इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दे कर रहा है क्योंकि वह संसाधन सीमित होने के तथ्य से अवगत है।
अदालत ने यह सिफारिश भूषण स्टील के पूर्व प्रमुख वित्तीय अधिकारी नितिन जौहरी की एक अर्जी पर सुनवायी करते हुए की। नितिन जौहरी को कथित धोखाधड़ी वाली गतिविधियों के लिए एसएफआईओ द्वारा गिरफ्तार किया गया था। अर्जी में तिहाड़ जेल प्राधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वे उसे वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये अपने परिवार और वकीलों से मुलाकात की इजाजत दें।

न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवायी करते हुए कहा कि जहां तक जौहरी की उसके वकीलों के साथ वीडियो कान्फ्रेंस को लेकर शिकायत का सवाल है तो यह पता चला है कि जेल प्रशासन उसे पहले ही ऐसे दो मौके दे चुका है।

जौहरी के लिए पेश हुए गौतम खजांची ने कहा कि आरोपी अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भी मुलाकात चाहता है और यदि वकीलों के साथ वीडियो कान्फ्रेंस के दौरान परिवार के किसी सदस्यों को भी शामिल होने की इजाजत दी जाती है तो कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।

अदालत ने कहा कि वह इस संबंध में कोई निर्देश जारी करना उचित नहीं समझता। अदालत ने कहा कि जेल में कैदियों की परिवार के सदस्यों के साथ मुलाकात पर रोक कोविड-19 महामारी के चलते अस्थायी है और स्थिति सामान्य होने पर उन्हें इसकी इजाजत दी जाएगी।

दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा और जेल प्रशासन की ओर से अधिवक्ता चैतन्य गोसाईं ने कहा कि जौहरी को उसके परिवार से दिन में पांच मिनट के फोन कॉल की सुविधा दी जा रही है।

वकील ने कहा कि वकीलों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा देने का एक ऐसा ही अनुरोध अन्य कैदियों द्वारा भी किया गया था, इसलिए महानिदेशक (जेल) ने गत छह जुलाई को एक परिपत्र जारी किया है, जिसमें उन शर्तों को निर्धारित किया गया है जिसके तहत कैदियों को वकीलों से परामर्श के लिए वीडियो कान्फ्रेंस की सुविधा प्रदान की जाएगी।

इसके बाद न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह अदालत सिफारिश करती है कि याचिकाकर्ता (जोहरी) और अन्य कैदियों की आवश्यकता (परिवार के साथ वीडियो कान्फ्रेंस) पर भी महानिदेशक (कारागार) द्वारा विचार किया जाए। यह अदालत कोई निर्देश नहीं दे रही है क्योंकि इससे अवगत है कि संसाधन सीमित हैं।’’
जौहरी को एसएफआईओ ने दो मई, 2019 को कथित धोखाधड़ी वाली गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया था, जिसमें विभिन्न बैंकों में झूठे दस्तावेज जमा करना शामिल था।


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PTI News Agency

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