दिल्ली के जैव चिकित्सा अपशिष्ट शोधन केंद्रों पर ज्यादा भार

punjabkesari.in Tuesday, Jul 07, 2020 - 05:18 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) महानगर में दो जैव चिकित्सा अपशिष्ट शोधन केंद्र (सीबीडब्ल्यूटीएफ) कोविड-19 महामारी के कारण बढ़े भार से जूझ रहे हैं और उनके संचालकों का कहना है कि मामले बढ़ने के साथ यह दबाव बढ़ता जाएगा।


दिल्ली में दो सीबीडब्ल्यूटीएफ पश्चिम दिल्ली के निलोठी में एसएमएस वाटर ग्रेस बीएमडब्ल्यू प्राइवेट लिमिटेड और जहांगीरपुरी में बायोटिक वेस्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड हैं, जिनकी संचालन क्षमता प्रतिदिन क्रमश: 12 टन और 34 टन है।


उनके प्रतिनिधियों के मुताबिक, ये दोनों केंद्र प्रतिदिन करीब 19 टन कोविड से जुड़े जैव चिकित्सा अपशिष्ट और 16 टन गैर कोविड अपशिष्ट का निस्तारण कर रहे हैं।


एसएमएस वाटर ग्रेस कोविड जैव चिकित्सा अपशिष्ट का संग्रहण दिल्ली के छह जिलों - पश्चिम, दक्षिण पश्चिम, मध्य, शाहदरा, पूर्वी और उत्तरपूर्वी दिल्ली के एलएनजेपी और सफदरजंग सहित सरकारी अस्पतालों, पृथक-वास केंद्रों, जांच केंद्रो, डिस्पेंसरी, निजी अस्पतालों से करती है।


बायोटिक वेस्ट सॉल्यूशंस उत्तर, उत्तरपश्चिम, नयी दिल्ली, दक्षिण और दक्षिण पूर्वी दिल्ली से कचरे का संग्रहण करता है। यह कोविड से जुड़े अपशिष्ट को एम्स, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग अस्पताल आदि से संग्रहित करती है।


गृह पृथक-वास में रहने वाले रोगियों के घरों से कोविड-19 जैव चिकित्सा अपशिष्ट संग्रहित करने की जिम्मेदारी नगर निगमों की है। ये कचरे अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों में जाते हैं, जहां इन्हें राख में परिवर्तित करने की क्षमता है।


दिल्ली में कचरे से ऊर्जा बनाने के संयंत्र सुखदेव विहार-ओखला, नरेला-बवाना और गाजीपुर में हैं।


एसएमएस वाटर ग्रेस के अमित निलावर ने बताया कि कोरोना वायरस से पहले उनके केंद्र में सिर्फ 50 फीसदी क्षमता का उपयोग हो पा रहा था। उन्होंने कहा, ‘‘अब कोविड-19 के अतिरिक्त अपशिष्ट के साथ यहां 90 से 110 फीसदी क्षमता के साथ काम हो रहा है, जिससे बंद होने का खतरा बढ़ गया है।’’

उन्होंने कहा कि भट्ठी में 13 टन जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रतिदिन जलाए जाते हैं, जबकि कोरोना वायरस के फैलने से पहले यहां करीब छह टन अपशिष्ट जलाए जाते थे। उन्होंने कहा कि मशीन को आराम देने की जरूरत है।


निलावर ने बताया कि केंद्र पर ‘‘अत्यधिक दबाव’’ के कारण संचालन की लागत प्रतिदिन कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा, ‘‘संयंत्र में अब तीन पाली में काम होता है जबकि पहले यहां दो पालियों में काम होता था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमारे यहां 100 कर्मचारी थे। काम के दबाव के कारण हमने 50 और कर्मचारियों की सेवा ली है। हम हर किसी को निजी सुरक्षा उपकरण किट, दस्ताने और मास्क मुहैया करा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें दिल्ली सरकार से सहयोग की जरूरत है। उसे दिल्ली में अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले केंद्रों के लिए यह आवश्यक बनाना चाहिए कि वह क्षमता से अधिक वाले हमारे कचरे का निस्तारण करें।’’

बायोटिक वेस्ट सॉल्यूशंस के विकास गहलोत ने कहा कि कोरोना वायरस फैलने से पहले इस केंद्र पर प्रतिदिन 14 टन जैव चिकित्सा कचरे का निस्तारण होता था।


उन्होंने कहा, ‘‘अब हम प्रतिदिन करीब 22 टन कचरे का निस्तारण कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के ममाले बढ़ने से दबाव बढ़ने वाला है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News