भीमा-कोरेगांव मामला: न्यायालय का एनआईए की अपील पर नवलखा को नोटिस

punjabkesari.in Tuesday, Jun 02, 2020 - 07:47 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में दिल्ली और मुंबई की विशेष अदालतों की न्यायिक कार्यवाही का रिकार्ड मंगाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की याचिका पर मंगलवार को नागरिक अधिकारों के कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नोटिस जारी किया।
इस बीच,शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक दिल्ली उच्च न्यायलाय में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से एनआईए की अपील पर सुनवाई करते हुये गौतम नवलखा को नोटिस जारी किया। नवलखा को 26 मई को दिल्ली की तिहाड़ जेल से मुंबई ले जाया गया था। पीठ ने इसके साथ ही एनआईए की अपील दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दी।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाये। अगले आदेश तक उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगी रहेगी। 15 दिन के बाद सूचीबद्ध किया जाये।’’
पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता के इस कथन का संज्ञान लिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र के बगैर ही निचली अदालत के रिकार्ड पेश करने के लिये 27 मई का आदेश दिया है।

राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में गलत तरीके से आरोपी की अंतरिम जमानत की याचिका पर विचार करना जारी रखा। एजेन्सी के अनुसार, आरोपी पर इस अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर के प्राधिकार ने आरोप लगाया है और वह इस समय मुंबई के विशेष न्यायाधीश (एनआईए) के आदेश के तहत वैध न्यायिक हिरासत में है।

एनआईए ने दिल्ली उच्च न्यायालय का 27 मई का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया है और दावा किया है कि शीर्ष अदालत पहले ही नवलखा के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे पर विचार कर चुकी है और उसने आठ अप्रैल के आदेश में आरोपी को कोई राहत देने से इंकार कर दिया था।

जांच एजेन्सी ने उच्च न्यायालय के समक्ष नवलखा की जमानत याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाते हुये कहा है कि आरोपी पर भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के तहत अपराधों के आरोप में मुकदमा चल रहा है, इसलिए एनआईए कानून के तहत विशेष अदालत में ही जमानत की अर्जी दायर की जा सकती है।

उच्च न्यायालय ने 27 मई को अपने आदेश में गौतम नवलखा की अंतरिम जमानत की याचिका लंबित होने के दौरान ही उन्हें मुंबई ले जाने के लिये ‘अनावश्यक जल्दबाजी’ करने पर राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को आड़े हाथ लिया था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि नवलखा को सप्ताहंत और अवकाश (ईद) के दिन मुंबई और दिल्ली में आवेदन दायर करने और ई-मेल से आदेश प्राप्त करने में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने बहुत जल्दबाजी दिखाई जिसकी वजह से ये कार्यवाही निरर्थक हो गयी।

इस मामले में शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करते हुये नवलखा ने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेन्सी के समक्ष समर्पण कर दिया था और इसके बाद उसे तिहाड़ जेल में रखा गया था।

अदालत ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई की पिछली तारीख पर एनआईए को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिये पर्याप्त समय दिया गया था और एजेन्सी ने अंतरिम जमानत की अर्जी का विरोध करते हुये हलफनामा दायर किया था। अदालत का कहना था कि पहली नजर में ऐसा लगता है कि जब पिछली तारीख पर एनआईए को अंतरिम जमानत की याचिका में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिये पर्याप्त समय दिया गया और उसने इसका विरोध करते हुये हलफनामा भी दाखिल किया, इसके बावजूद जांच एजेन्सी ने आवेदक को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर करने के लिये अनावश्यक जल्दबाजी दिखाई।
नवलखा ने अदालत से कहा था कि उसकी अंतरिम जमानत की अर्जी लंबित होने के दौरान ही 23 मई को एनआईए ने दिल्ली के विशेष न्यायाधीश (एनआईए) से उसकी न्यायिक हिरासत की अवधि 22 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया। लेकिन 24 मई को जांच एजेन्सी ने नवलखा को मुंबई की एनआईए अदालत में पेश करने के वारंट के लिये एक अर्जी दायर की ।
यही नहीं, ईद के अवसर पर राजकीय अवकाश होने के बावजूद 25 मई को नवलखा को दिल्ली से मुंबई ले जाने की ट्रांजिट रिमांड के लिये तिहाड़ जेल के संबंधित जेल अधीक्षक के समक्ष भी आवेदन दायर किया गया था।



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PTI News Agency

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