दया याचिकाओं के निबटारे की समय सीमा पर न्यायालय ने केन्द्र से मांगा जवाब
punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 03:02 PM (IST)
नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) उच्चतम न्यायाल ने दया याचिकाओं को समयबद्ध तरीके से निबटाने के लिये इसकी प्रक्रिया, नियम और दिशानिर्देश तैयार करने के बारे में दायर याचिका पर बुधवार को केन्द्र से जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई के दौरान इस याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया और उसे चार सप्ताह के भीतर इस पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि इस याचिका में वह सिर्फ गृह मंत्रालय को एक समय सीमा के भीतर राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पेश करने का निर्देश देने के बारे में विचार कर सकती है।
यह याचिका शिव कुमार त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने दायर की है और उसने सवाल किया है कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका का निबटारा करने के लिये क्या कोई समय सीमा है।
त्रिपाठी ने याचिका में दलील दी है कि दया याचिकाओं के निबटारे की समय सीमा के बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं हैं।
केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस याचिका के बारे में निर्देश प्राप्त करने और इसका जवाब देने के लिये वक्त चाहिए।
पीठ ने कहा कि दया याचिका का प्रारूप महत्वपूर्ण नही है लेकिन उसे राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने की समय सीमा महत्वपूर्ण है।
त्रिपाठी ने इस याचिका में दया याचिकाओं के निबटारे के लिये एक समय सीमा निर्धारित करने का केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है जिसके भीतर इसका फैसला किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि दया प्रदान करने की शक्ति एक असाधारण अधिकार है और संबंधित प्राधिकारी को बहुत ही सावधानी के साथ इसका इस्तेामल करना चाहिए।
याचिका के अनुसार अगस्त , 2008 में गृह मंत्रालय ने एक याचिका का जवाब देते समय केन्द्रीय सूचना आयोग को बताया था कि दया याचिकाओं के बारे में कोई लिखित प्रक्रिया नहीं है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये सुनवाई के दौरान इस याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया और उसे चार सप्ताह के भीतर इस पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि इस याचिका में वह सिर्फ गृह मंत्रालय को एक समय सीमा के भीतर राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पेश करने का निर्देश देने के बारे में विचार कर सकती है।
यह याचिका शिव कुमार त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने दायर की है और उसने सवाल किया है कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका का निबटारा करने के लिये क्या कोई समय सीमा है।
त्रिपाठी ने याचिका में दलील दी है कि दया याचिकाओं के निबटारे की समय सीमा के बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं हैं।
केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस याचिका के बारे में निर्देश प्राप्त करने और इसका जवाब देने के लिये वक्त चाहिए।
पीठ ने कहा कि दया याचिका का प्रारूप महत्वपूर्ण नही है लेकिन उसे राष्ट्रपति के समक्ष पेश करने की समय सीमा महत्वपूर्ण है।
त्रिपाठी ने इस याचिका में दया याचिकाओं के निबटारे के लिये एक समय सीमा निर्धारित करने का केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है जिसके भीतर इसका फैसला किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि दया प्रदान करने की शक्ति एक असाधारण अधिकार है और संबंधित प्राधिकारी को बहुत ही सावधानी के साथ इसका इस्तेामल करना चाहिए।
याचिका के अनुसार अगस्त , 2008 में गृह मंत्रालय ने एक याचिका का जवाब देते समय केन्द्रीय सूचना आयोग को बताया था कि दया याचिकाओं के बारे में कोई लिखित प्रक्रिया नहीं है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami : रंग पंचमी पर कर लें यह उपाय, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
Rang Panchami: रंगपंचमी पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, इस विधि से करें उन्हें प्रसन्न
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
पंजाब की जेल में कई साल गुजारने वाले यू.पी. के खूंखार गैंगस्टर की मौत