सोशल मीडिया से सामग्री हटाने के आदेश विधि सम्मत हों : आईएएमएआई
punjabkesari.in Tuesday, Apr 07, 2020 - 10:50 PM (IST)
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ (आईएएमएआई) ने मंगलवार को कहा कि सोशल मीडिया कंपनियां को उनके मंच से किसी भी सामग्री को हटाने के आदेश कानूनी तरीके से जारी होने चाहिए।
आईएएमएआई के सदस्यों में फेसबुक, गूगल, टिकटॉक, शेयरचैट जैसी कंपनियां शामिल हैं।
आईएएमएआई ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियां खुद से कंटेंट या सामग्री का निर्माण नहीं करती हैं। इसलिए इनका उपयोग करके किसी भी तरह की गलत जानकारियां फैलाने की जिम्मेदारी उपयोक्ता की है।
आईएएमएआई ने एक बयान में कहा कि फर्जी खबरों को रोकने के लिए इन मंचों ने सकारात्मक कदम उठाए हैं। इसलिए मंच से किसी भी तरह की सामग्री हटाने के आदेश को एक उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत दिया जाना चाहिए। मंच अपने स्तर पर कई बार सक्रियता दिखाते हुए संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं। इस मामले में मिलजुल कर काम करने व्यवसथा होनी चाहिए।
पिछले हफ्ते तथ्यों की जांच करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी वोयागर इंफोसेक ने अपनी एक रपट में कहा था कि टिकटॉक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर कई ऐसे वीडियो उपलब्ध हैं जो भारत में मुस्लिमों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के एहतियाती कदमों के खिलाफ प्रभावित कर रहे हैं। यह वीडियो अन्य मंच पर भी साझा किए गए।
आईएएमएआई ने कहा कि सोशल मीडिया मंच विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे और लोगों तक सही जानकारियां पहुंचा रहे हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
आईएएमएआई के सदस्यों में फेसबुक, गूगल, टिकटॉक, शेयरचैट जैसी कंपनियां शामिल हैं।
आईएएमएआई ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियां खुद से कंटेंट या सामग्री का निर्माण नहीं करती हैं। इसलिए इनका उपयोग करके किसी भी तरह की गलत जानकारियां फैलाने की जिम्मेदारी उपयोक्ता की है।
आईएएमएआई ने एक बयान में कहा कि फर्जी खबरों को रोकने के लिए इन मंचों ने सकारात्मक कदम उठाए हैं। इसलिए मंच से किसी भी तरह की सामग्री हटाने के आदेश को एक उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत दिया जाना चाहिए। मंच अपने स्तर पर कई बार सक्रियता दिखाते हुए संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं। इस मामले में मिलजुल कर काम करने व्यवसथा होनी चाहिए।
पिछले हफ्ते तथ्यों की जांच करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी वोयागर इंफोसेक ने अपनी एक रपट में कहा था कि टिकटॉक, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर कई ऐसे वीडियो उपलब्ध हैं जो भारत में मुस्लिमों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के एहतियाती कदमों के खिलाफ प्रभावित कर रहे हैं। यह वीडियो अन्य मंच पर भी साझा किए गए।
आईएएमएआई ने कहा कि सोशल मीडिया मंच विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे और लोगों तक सही जानकारियां पहुंचा रहे हैं।
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