केयर्न ने सरकार से तेल पर लगने वाले करों की समीक्षा करने को कहा
punjabkesari.in Tuesday, Apr 07, 2020 - 07:21 PM (IST)
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कच्चा तेल उत्पादक कंपनी केयर्न ऑयल एंड गैस ने मूल्य में गिरावट के इस दौर में इस उद्योग पर कर व्यवस्था की समीक्षा की मांग की है।
केयर्न का कहना है कि करों और मुनाफे में सरकार की हिस्सेदार में करीब तीन-चैथाई राजस्व चला जाता है ऐसे में मौजूदा हालात में नए उत्खनन के लिए धनराशि जुटाना मुश्किल है।
वेदांता लिमिटेड समूह की तेल और गैस इकाई के मुख्य कार्यपालक अजय दीक्षित ने कहा कि सरकार तेल की कीमतों पर 20 प्रतिशत उपकर लगाती है और इतनी ही राशि राज्य सरकारों को रायल्टी के रूप में दी जाती है।
इसके अतिरिक्त पेट्रोलियम पर लगात हटाने के बाद मुनाफे के 50 प्रतिशत की सरकार हकदार है।
उन्होंने कहा, ‘‘तेल की वर्तमान घटी हुई कीमतों पर उपकर, रॉयल्टी और पेट्रोलियम मुनाफा देने के बाद मुश्किल से ही कुछ धनराशि बचती है। इन उपकरों की समीक्षा करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि जब तेल की कीमतें बहुत अधिक थीं, तब उपकर लगाया गया था, यदि कीमत 45 डालर प्रति बैरल से कम है, तो इसे नहीं लगाना चाहिए।
उन्होने कहा कि इसके अलावा पेट्रोलियम मुनाफो की फिर से समीक्षा करने की जरूरत है।
दीक्षित ने कहा, ‘‘वर्तमान में भारी कराधान और तेल की निचली कीमतों के मद्देनजर हम किसी भी तरह से उत्खनन के लिए पैसे का इंतजाम नहीं कर सकते हैं।"
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें घटकर 20 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गई थीं और पिछले कुछ दिनों से इसमें थोड़ा सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उसके तेल और तेल के बराबर गैस उत्पादन में कुल दैनिक 50,000 बैरल की कमी हुई है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
केयर्न का कहना है कि करों और मुनाफे में सरकार की हिस्सेदार में करीब तीन-चैथाई राजस्व चला जाता है ऐसे में मौजूदा हालात में नए उत्खनन के लिए धनराशि जुटाना मुश्किल है।
वेदांता लिमिटेड समूह की तेल और गैस इकाई के मुख्य कार्यपालक अजय दीक्षित ने कहा कि सरकार तेल की कीमतों पर 20 प्रतिशत उपकर लगाती है और इतनी ही राशि राज्य सरकारों को रायल्टी के रूप में दी जाती है।
इसके अतिरिक्त पेट्रोलियम पर लगात हटाने के बाद मुनाफे के 50 प्रतिशत की सरकार हकदार है।
उन्होंने कहा, ‘‘तेल की वर्तमान घटी हुई कीमतों पर उपकर, रॉयल्टी और पेट्रोलियम मुनाफा देने के बाद मुश्किल से ही कुछ धनराशि बचती है। इन उपकरों की समीक्षा करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि जब तेल की कीमतें बहुत अधिक थीं, तब उपकर लगाया गया था, यदि कीमत 45 डालर प्रति बैरल से कम है, तो इसे नहीं लगाना चाहिए।
उन्होने कहा कि इसके अलावा पेट्रोलियम मुनाफो की फिर से समीक्षा करने की जरूरत है।
दीक्षित ने कहा, ‘‘वर्तमान में भारी कराधान और तेल की निचली कीमतों के मद्देनजर हम किसी भी तरह से उत्खनन के लिए पैसे का इंतजाम नहीं कर सकते हैं।"
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें घटकर 20 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गई थीं और पिछले कुछ दिनों से इसमें थोड़ा सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उसके तेल और तेल के बराबर गैस उत्पादन में कुल दैनिक 50,000 बैरल की कमी हुई है।
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