...जब पिता की बात मान इंदिरा ने छोड़ा चटर-पटर खाना
punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2019 - 06:10 PM (IST)
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जब इंदिरा गांधी बच्ची थीं तो उन्हें चटर-पटर खाने की आदत थी। इसके चलते एक दिन उनका पेट खराब हो गया। उन्हें डाक्टर से डर लगता था इसलिए लाख मनाने पर भी वह डाक्टर के पास नहीं जा रही थीं। उस वक्त अंग्रेजों ने पंडित नेहरू को देहरादून की जेल में बंद कर रखा था। जब इंदिरा नहीं मानीं तो बात पंडित जी तक पहुंचाई गई। पहले तो पंडित नेहरू ने इंदु को किसी तरह से डाक्टर के पास भिजवाया, डाक्टर के पास से लौटकर जब इंदु आईं तो पंडित जी ने उन्हें समझाया।
पंडित नेहरू बोले, “सुनो इंदु, हमारे शरीर की बहुत-सी शिकायतें इस छोटे से पेट की गड़बड़ी से पैदा होती हैं। अगर बचपन में यह आदत पड़ गई तो फिर वह जीवन भर हमारा पीछा नहीं छोड़ती। लोग इसके लिए जुलाब और तरह-तरह के चूरन लेने लगते हैं और फिर एक तरह से उनके गुलाम बन जाते हैं। यह बुरा है।”
इस पर इंदु बोलीं, “लेकिन यह तो सिर्फ पेट ही हुआ? पेट पूरा शरीर थोड़े ही चलाता है।”
यह सुनकर पंडित नेहरू मुस्कुराए। उन्होंने बड़े प्रेम से धीमे-धीमे इंदु को बताना शुरू किया।
नेहरू बोले, “अच्छे हाजमे के साथ जिस्म की किसी भी शिकायत का मुकाबला किया जा सकता है। तुम डाक्टर से इसलिए नाराज हो क्योंकि डाक्टर मेहता ने तुम्हें सिर्फ मौसम्मी का रस ही पीने दिया। जो कुछ तुम खाना चाहती थी, कुछ भी खाने नहीं दिया। मुझे पता है कि तुम्हें बहुत बुरा लगा होगा लेकिन बेटा, पेट को थोड़ा आराम देना अच्छा होता है। और जानती हो, मैं इतने दिन बाहर रहा फिर भी मेरी सेहत क्यों अच्छी रही?”
इंदु ने पूछा, “क्यों?” पंडित नेहरू बोले, ''क्योंकि मेरा पेट ठीक रहता था।”
अब इंदु को पूरी बात अच्छे से समझ आ गई। वह बोलीं, ''मैं वादा करती हूं कि अब मैं कभी चटर-पटर खाकर अपना पेट खराब नहीं करूंगी।”
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