सीनेट की जगह केंद्रीय बोर्ड बनाने के प्रस्ताव का किया विरोध

punjabkesari.in Saturday, Oct 31, 2020 - 09:01 AM (IST)

चंडीगढ़, (रश्मि हंस): शिरोमणि अकाली दल (डैमोक्रेटिक) के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा ने केंद्र सरकार द्वारा पी.यू. की सीनेट को खत्म कर केंद्र की सिफारिश पर नया बोर्ड बनाकर यूनिवॢसटी के कार्य करने के प्रस्ताव का सख्त विरोध किया है। मीडिया को जारी बयान में ढींडसा ने कहा कि ऐसा करने से पी.यू. का लोकतंत्रीय ढांचा सदा के लिए खत्म हो जाएगा और यूनिवॢसटी पर पंजाब का हक भी खत्म होकर किनारे हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा बनाई नई शिक्षा नीति 2020 के अधीन केंद्र सरकार बोर्ड बनाकर सीनेट को भंग करने का प्रस्ताव ला रही है जोकि यूनिवॢसटी और पंजाब राज्य के लिए मारू सिद्ध होगी। उन्होंने केंद्र सरकार को ऐसा करने से गुरेज करते हुए मौजूदा व्यवस्था को ही चालू रखने का सुझाव दिया।  

 


पंजाब का पहला हक होना चाहिए
ढींडसा ने कहा कि पी.यू. करीब एक 138 साल पुराना संस्थान है और आजादी के बाद दिल्ली और शिमला रहने के बाद 1958 में चंडीगढ़ में पक्के तौर पर स्थापित की गई थी। उन्होंने कहा कि पंजाब के गांवों को उजाड़ कर बनाए चंडीगढ़ में स्थापित संस्थान पर पंजाब का पहला हक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले भी केंद्रीय यूनिवॢसटी न होने के बावजूद भारत के उप-राष्ट्रपति को पी.यू. के कुलपति की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी पंजाब के राज्यपाल के पास है। ढींडसा ने कहा कि सीनेट के 90 सदस्यों में से ही ङ्क्षसडीकेट के मैंबर चुने जाते हैं जिनमें से ज्यादतर पंजाबी होते हैं। इस तरह पी.यू. में पंजाबियों के हित सुरक्षित हैं जो कि केंद्र सरकार के बोर्ड बनने से छीके टांग दिए जाएंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और डी.पी.आई. कॉलेज इस समय यूनिवॢसटी सीनेट के एक्स ऑफिशियो मैंबर हैं परंतु उनके द्वारा भी केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध न करना हैरानीजनक है। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि 31 अक्तूबर को यूनिवॢसटी सीनेट का कार्यकाल खत्म हो गया। इसलिए जल्द से जल्द नई नोटिफिकेशन जारी करके सीनेट के चुनाव करवाए जाएं।
 


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Ajesh K Dharwal

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