भाग्य को कोसने वाले, ये पढ़ना न भूलें
punjabkesari.in Monday, Mar 11, 2019 - 01:42 PM (IST)
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आप सबने देखा और सुना ही होगा कि जो लोग गरीब होते हैं वे ज्यादा दुखी रहते हैं। क्योंकि वे सदा अपने भाग्य को कोसते रहते हैं या फिर यूं कहे कि वे हमेशा इसी चिंता में रहते हैं कि उनका दुख कब दूर होगा, कब भाग्य का फेर बदलेगा और इसी चक्कर में वे बाकि चीज़ों को अनदेखा कर देते हैं। जबकि व्यक्ति को ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए, भगवान द्वारा दी गई हर स्थिति में खुश रहना चाहिए और उसका डटकर सामना करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर जीवन में दुख आते हैं तो एक न एक दिन सुख भी जरूर आते हैं और सुख, दुख तो जीवन के दो पहलु माने गए हैं। व्यक्ति को हर समय भगवान का नाम लेते रहना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि अगर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एकसाथ की जाए तो उसका फल दोगुना ज्यादा मिलता है। आज हम आपको इसी से जुड़ी एक ऐसा कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें भगवान ने बताया है कि जो गरीब लोग होते हैं वे अपना दुख कैसे बड़ा लेते हैं।
एक बार माता पार्वती ने भोलेनाथ से पूछा कि जो लोग अपने भाग्य से दुखी होते हैं उन लोगों को पहले से ज्यादा दुखी मिलता है और जो सुख भोगते हैं, उन्हें कोई दुख नहीं मिलता। उस समय भगवान ने माता के सवाल का जवाब नहीं दिया और उनके प्रश्न का जवाब देने के लिए उन्हें पृथ्वी लोक पर ले गए। दोनों ने मनुष्य देह धारण किया और नगर में पति-पत्नि के रूप में रहने लगे।
एक दिन माता ने रसोई बनाने की तैयारी शुरू की, लेकिन माता ने देखा कि चूल्हा बनाने के लिए ईंटें नहीं हैं तो वे अपने घर से बाहर कुछ दूरी पर ईंटें लेने पहुंची। उन्होंने कुछ जर्जर हो चुके मकानों से ईंटें ली और लाकर चूल्हा तैयार किया। कुछ समय बाद भोलेनाथ खाली हाथ घर लौट आते हैं, उन्हें ऐसा देखकर माता ने पूछा कि आप कुछ लेकर नहीं आए तो खाना कैसे बनेगा। इस पर भगवान ने कहा अब उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके बाद भगवान ने पार्वती जी से पूछा कि तुम चूल्हा बनाने के लिए इन ईटों को कहां से लेकर आई?
माता ने कहा प्रभु, इस गांव में बहुत से ऐसे घर भी हैं, जिनका रख-रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है। उनकी जर्जर हो चुकी दीवारों से मैं ईंटें निकालकर ले आई। शिव ने फिर कहा, जो घर पहले से खराब थे, तुमने उन्हें और खराब कर दिया। तुम मजबूत घरों की दीवारों से भी तो ईंटें ला सकती थी। पार्वती जी बोली कि उन लोगों ने अपने घरों का रख-रखाव अच्छी तरह किया है और वे सुंदर भी लग रहे हैं। उन्हें बिगड़ना ठीक नहीं होता।
इस पर शंकर जी ने कहा कि कुछ दिन पहले पूछे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी यही है कि जिन लोगों ने अपने जीवन को अच्छे कर्मों से सुंदर बना रखा है, उन्हें दुख कैसे हो सकता है और जो पहले से ही अपने भाग्य को कोसते हैं उन्हीं को दुख प्राप्त होता है।
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