राहूकाल और केतु के नक्षत्र में चुनाव का ऐलान! नेता भूलेंगे मर्यादा, हिंसा की आशंका

punjabkesari.in Monday, Mar 11, 2019 - 01:36 PM (IST)

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जालंधर (नरेश): चुनाव आयोग ने 10 मार्च को शाम 5 बजे दिल्ली में जब चुनाव की घोषण करने के लिए प्रैस कॉन्फ्रैंस बुलाई तो उस समय राहूकाल शुरू हो चुका था, जो साढ़े 6 बजे तक चला। इस दौरान चुनाव आयोग ने पूरे कार्यक्रम की घोषणा की। जिस समय चुनाव का ऐलान हुआ उस समय चंद्रमा केतु के अश्विनी नक्षत्र में था। यह नक्षत्र गंडमूल का नक्षत्र है और इस नक्षत्र में शुभ काम वर्जित माना गया है। चुनाव की घोषणा के समय सिंह लग्न उदित हो रहा था और राहू 11वें भाव में था, जबकि केतु शनि के साथ 5वें, सूर्य 7वें और नीच का बुध 8वें भाव में पड़ा हुआ था। गुरु चौथे और मंगल व चंद्रमा 9वें भाव थे। 

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चुनाव की घोषणा के समय राहू का 11वें भाव में होना हिंसा की तरफ इशारा करता है, क्योंकि 11वें भाव का राहू बंदूक माना गया है। लिहाजा चुनाव के दौरान हिंसक गतिविधियां हो सकती हैं। हालांकि आयोग द्वारा सुरक्षा प्रबंधों के दावे किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद चुनावों के दौरान शांति को लेकर सवाल बना रहेगा। चुनाव की घोषणा के वक्त बनी कुंडली के अनुसार बुध दूसरे भाव का स्वामी बनता है। यह भाव बोली का भाव समझा जाता है। बुध इस कुंडली में 8वें भाव में जाकर नीच राशि में बैठ गया और दूसरे भाव को 7वीं दृष्टि से देख रहा है। इसका मतलब है कि नेता चुनाव प्रचार के दौरान भाषा की सारी मर्यादाएं भूल कर एक-दूसरे पर दोषारोपण करेंगे। 7वें भाव में सूर्य होने के कारण भी चुनाव प्रचार बहुत ज्यादा आक्रामक रहने वाला है।

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23 मई को जिस समय चुनाव के नतीजों की घोषणा होगी उस समय मिथुन लग्न उदय हो रहा होगा और लग्न का स्वामी बुध 12वें भाव में जाकर अस्त हो जाएगा तथा गुरु वक्री स्थिति में होगा। लिहाजा चुनाव में किसी को बहुमत की सम्भावना नहीं है अर्थात मिलीजुली सरकार अस्तित्व में आएगी। -रजिंद्र बिट्टू, मिट्ठा बाजार जालंधर

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Niyati Bhandari

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