पुलवामा हमला और चुनावी वर्ष: पानी और हवाओं का रुख बदल देंगे

punjabkesari.in Friday, Feb 22, 2019 - 06:19 PM (IST)

फिरोजपुर। (सूरज ठाकुर) पुलवामा हमले के बाद पूरा देश जहां गुस्से से उबल रहा है, वहीं मोदी सरकार को जनता को जवाब देना मुश्किल हो गया है। हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद देश के लोगों के दिलों में जल रही बदले की आग को शांत करने के लिए आनन-फानन में केंद्रीय मंत्री नीतिन गड़करी ने बयान दाग दिया कि भारत अब पाकिस्तान का पानी रोक देगा। यह काम यदि समय रहते कर लिया होता तो शायद देश के अपने ही राज्यों को जल संकट से नहीं जूझना पड़ता। हवा में तीर छोड़कर न तो जमीन से पानी के चश्में फूटते हैं और न ही पहाड़ों का सीना चीरते हुए  दरियाओं की धाराओं को मोड़ना बच्चों का खेल है। यहां हम आपको सिंद्धू जल समझौते की जानकारी नहीं देना चाहते, जिसका हर आतंकी हमले के बाद देश के नेता राग अलापने लगते हैं। हुसैनीवाला हैड वर्क्स से अपना ही हजारों क्यूसिक पानी जाता रहा है पाकिस्तान को... 
 

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हजारों क्यूसिक पानी बर्बाद...
पंजाब-पाकिस्तान बार्डर पर बने हुसैनीवाला हैड वर्क्स पर सतलुज के पानी को पाकिस्तान की ओर जाने से रोका जाता है। इस हैड से राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्से में पानी की आपूर्ति की जाती है, जो कई माह से ठप्प पड़ी हुई है। सभी गेट लंबे समय से सड़े होने के कारण यहां से हजारों क्यूसिक पानी बहकर पाकिस्तान जा रहा था। इस पानी का पाकिस्तान के बार्डर के साथ लगते गांव भरपूर फायदा उठा रहे थे। जबकि यह पानी राजस्थान और पंजाब के किसानों को पूर्ण रूप से मिलना चाहिए।

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नवंबर से चल रहा है मरम्मत कार्य...
सरकार ने पाकिस्तान का पानी रोकने के लिए 12 नवंबर 2018 में इस हैड के गेटों को बदलने का काम शुरू किया। इस काम के शुरू होते ही अखबारों के पन्ने खबरों से भरे थे कि "सतलुज के पानी का सौ फीसद उपयोग अब भारत करेगा"। हुस्सैनीवाला हैड का मरम्मत कार्य शुरू करने के लिए सतलुज के पानी को हरीके पत्तन पर ही रोक लिया गया। हैड में बचे हुए पानी को छोड़ दिया गया ताकि मरम्मत कार्य जल्द हो सके। मरम्मत कार्य पर करीब 3 करोड़ होने का अनुमान है। यहां आपको बता दें कि यह कार्य सामान्य स्थिति में शुरू हुआ, देश पर कोई ऐसा आतंकी हमला नहीं हुआ था, कि इमरजेंसी में काम को शुरू करने के लिए फंड आ गए। जनवरी 2019 तक हर हाल में सरकार द्वारा हुसैनीवाला हेड की मरम्मत का काम पूरा करने का लक्ष्य नहरी विभाग को दिया गया था। यह कार्य अभी समायवधि में पूरा नहीं हो सका है।

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गंग नहर को जोड़ा गया है हुसैनीवाला से...
राजस्थान की धरती की प्यास बुझाने के लिए बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 1927 में हुसैनीवाला हेडवर्क्स से गंग नहर का निर्माण करवाया था। इसे श्रीगंगानगर की जीवनरेखा भी कहा जाता है। गंग नहर के साथ ही यहीं से ईस्टर्न नहर भी निकलती है जो पंजाब के विभिन्न हिस्सों में पानी की सप्लाई करती हैं। हुसैनीवाला वर्क्स हैड की मरम्मत हमारे देश की परेशानी है, जो लंबे समय से शासन और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है।

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अपने ही पानी के प्रति नहीं हैं गंभीर...
सतलुज दरिया के पानी में रिसाव होने के कारण पानी पाकिस्तान की तरफ जा रहा था। पाकिस्तान के किसान दरिया के पानी से खेतों की सिंचाई कर अनाज पैदा कर रहे थे। मरम्मत करने के बाद इससे पाकिस्तान के किसानों को जहां बहुत नुकसान होगा, वहीं यहां पानी के माध्यम से हाने वाली तस्करी पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। कुल मिलाकर कहने का मतलब है कि जब शासन और प्रशासन अपने खुद के पानी के प्रति ही गंभीर नहीं है, तो वह कैसे यकायक पाकिस्तान का पानी रोक देगा। नीतिन गड़करी का बयान यहां पर बचकाना सा लगता है। बहरहाल चुनावी वर्ष है ऐसे में देश के सियासी दलों की ये हालत है कि सत्ता हासिल करने के लिए वे पानी और हवाओं का रुख सपनों में बदलने को आतुर हैं।


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Suraj Thakur

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