आयुष्मान भारत योजना से हाथ पीछे खींच रहे प्राइवेट अस्पताल, इलाज के लिए होती है लॉबिंग
punjabkesari.in Tuesday, Feb 19, 2019 - 07:22 AM (IST)
जालंधर(विशेष): प्रधानमंत्री की मुफ्त स्वास्थ्य बीमा योजना (आयुष्मान भारत स्कीम) के तहत उचित पैकेज नहीं मिलने की बात कह कर प्राइवेट अस्पताल अपना हाथ पीछे खींचने लगे हैं, जबकि इस योजना के तहत इलाज करवाने आने वाले मरीजों में से तीन-चौथाई से अधिक कैंसर और हार्ट डिसीज के होते हैं। इन मरीजों को उस समय परेशानियां उठानी पड़ती हैं जब निजी अस्पताल मैडीकल प्रक्रिया की दरें बढऩे की बात कर लॉङ्क्षबग करते हैं। इस योजना में कुछ हद तक ही इलाज की पेशकश होती है।
पिछले साल मई महीने में पब्लिक हैल्थ फाऊंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार भारतीय अपने स्वास्थ्य की देखभाल पर तीन चौथाई से ज्यादा अपनी जेब से खर्च करते हैं। लगभग 5.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे धकेला गया है। कारण हैल्थकेयर का खर्च बताया गया है। स्टडी में कहा गया है कि 3.8 करोड़ लोग इसलिए गरीब बन गए क्योंकि उन्हें मैडीकल का खर्च वहन करना पड़ा है।
नैशनल हैल्थ अथॉरिटी, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को कवर करना है, द्वारा मुहैया आंकड़ों के मुताबिक मरीजों के इलाज पर योजना लागू होने से अब तक कुल पैकेज का क्रमश: 22 प्रतिशत मैडीकल और 7 प्रतिशत रेडिएशन पर खर्च हुआ है, जबकि दूसरे नंबर पर दिल के रोगियों पर पैकेज का 13 प्रतिशत और 11 प्रतिशत ऑर्थोपैडिक्स पर खर्च हुआ है। इसी तरह आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल दावों में 9 प्रतिशत यूरोलॉजी ट्रीटमैंट पर खर्च आया है।
प्राइवेट अस्पताल पैकेज को मानते हैं अनुचित
कई प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना के तहत दिए जाने वाले पैकेज को अनुचित और अवैज्ञानिक मूल्य का हवाला देते हुए पैनल से हटने की धमकी दी है। इंडियन मैडीकल एसोसिएशन द्वारा गणना की गई कीमतें सरकार की ओर से निश्चित कीमत से 84 गुणा ज्यादा थीं। इसके चलते अपने 2019 के अंतरिम बजट में सरकार ने 2019-20 के वित्त वर्ष के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 6400 करोड़ रुपए की राशि रखी है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 2000 करोड़ रुपए थी। यह यकीनी बनाया गया कि 1354 मैडीकल पैकेज्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अभी तक योजना के तहत 17,800 अस्पताल शामिल किए गए हैं, इनमें से 56 प्रतिशत निजी अस्पताल हैं, जबकि 69 प्रतिशत मल्टीस्पैशलिस्ट हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अथॉरिटी के अनुसार 65 प्रतिशत इलाज प्राइवेट अस्पतालों में होता है। नैशनल हैल्थ अथॉरिटी के मुताबिक इस योजना के तहत 65 प्रतिशत इलाज प्राइवेट अस्पतालों में होता है लेकिन एसोसिएशन ऑफ हैल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) के महानिदेशक गिरधर ज्ञानी ने बताया कि इस योजना के तहत तय पैकेज अनुसार लंबे समय तक चलना संभव नहीं होगा क्योंकि यह सरकारी कर्मचारियों को मुहैया सैंट्रल गवर्नमैंट हैल्थ स्कीम से 30-40 प्रतिशत कम पैकेज था।
रेट्स कब रिवाइज होंगे अभी स्पष्ट नहीं
एसोसिएशन ऑफ हैल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) जोकि 40,700 बड़े और 8 हजार छोटे व मध्यम अस्पतालों का प्रतिनिधित्व करती है, ने बताया कि कुछ रेट्स नहीं बढ़ाए जाने की स्थिति में जहां तक कि कुछ प्राइवेट अस्पतालों ने योजना से हटने के बारे में कहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं कि रेट्स कब रिवाइज होंगे। जबकि नैशनल हैल्थ अथॉरिटी का कहना है कि पैकेज रेट्स तृतीय देखभाल सेवाओं के लिए हैं, जबकि हार्ट सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, कीमोथैरेपी, डायलिसिस और नी रिप्लेसमैंट की दरें जल्द रिवाइज होंगी। नैशनल हैल्थ अथॉरिटी के प्रोजैक्ट डायरैक्टर मालती जायसवाल ने बताया कि पैकेज दरों में संशोधन के लिए बातचीत जारी है और वर्तमान कीमतों के विश्लेषण के लिए एक टैक्रीकल एडवाइजरी कमेटी गठित की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी हमारे पास पूरा डाटा नहीं है लेकिन कीमतों में संशोधन की प्रक्रिया जारी है। जुलाई 2017 को प्रकाशित नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के मुताबिक देश की आधी आबादी तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए अभी बड़े स्तर पर प्राइवेट अस्पतालों को शामिल किया जाना है। वहीं गिरधर ज्ञानी का कहना है कि यदि लागत पर एक वैज्ञानिक अध्ययन में समय लग रहा है तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य अथॉरिटी प्रत्येक राज्य में योजना को व्यावहारिक बनाने के लिए निजी अस्पतालों को कम से कम उच्चतम पैकेज प्रदान कर सकता है लेकिन यह भी अभी नहीं किया जा रहा है।
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