अचला सप्तमीः इस व्रत के प्रभाव से मिलता है पुण्य

punjabkesari.in Tuesday, Feb 12, 2019 - 01:24 PM (IST)

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हिंदू धर्म में माघ का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। कहते हैं कि इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान करने से और इसके साथ ही दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की अमावस्या, पूर्णिमा और शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। आज सप्तमी तिथि को शास्त्रों में अचला सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क, रथ और पुत्र सप्तमी भी कहा गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अचला सप्तमी पर सूर्यदेव का व्रत कथा और पूजन इत्यादि करता है तो उसे पूरे साल की सूर्य पूजा करने का पुण्य एक ही बार में प्राप्त हो जाता है। भविष्य पुराण में इस व्रत के बारे में कहा गया है कि यह व्रत सौभाग्य, रूप और संतान सुख प्रदान करने वाला होता है। तो आइए आज हम आपको इस व्रत की कथा के बारे में बताएंगे। 
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एक पौराणिक कथा के अनुसार इंदुमती नाम की एक गणिका ने अपने जीवन में कोई पुण्य कर्म नहीं किया। एक दिन उसने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए जिससे कि मौत के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इस बात को सोचते हुए गणिका महर्षि वशिष्ठ के आश्रम गई और उनसे पूछा कि मैंने अपने पूरे जीवन में कभी कोई दान, पुण्य नहीं किया है। इसलिए कृपा करके मुझे कुछ ऐसा उपाय बताएं ताकि मैं मरने के बाद मोक्ष को प्राप्त कर सकूं। 
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गणिका के आग्रह करने पर महर्षि वशिष्ठ ने उसे अचला सप्तमी का व्रत करने की सलाह दी और उसे पूरी व्रत और पूजन विधि के बारे में बताया। इंदुमती ने ठीक उसी तरह अचला सप्तमी का व्रत पूजन किया और मरने के बाद इसी व्रत के प्रभाव से उसे इन्द्र की अप्सराओं का प्रधान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 
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