इस सुगंध से करें नवग्रहों को अपनी मुट्ठी में

punjabkesari.in Monday, Jan 28, 2019 - 02:46 PM (IST)

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मीठी-मीठी महक और भिन्नी-भिन्नी सुगंध किसी का भी मन मोह लेती है। ग्रहों की प्रकृति के अनुसार यदि सुगंध का इस्तेमाल किया जाए तो निश्चय ही ग्रहों के प्रकोप से स्वयं को बचाया जा सकता है। रवि, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र तथा शनि, राहू एवं केतु की अशुभता मनुष्य को अशान्त बना देती है। इन सुगंधों से करें नवग्रहों को अपनी मुट्ठी में-

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सूर्य- सूर्य धरती के एकमात्र साक्ष्य देव हैं। यह अग्नि का ग्रह है। बलवान सूर्य सभी ग्रहों के दोष दूर कर देता है। केसर तथा गुलाब का इत्र या सुगंध का उपयोग करते रहने से सूर्य की अनुकूलता प्राप्त होती है।

चन्द्रमा- मन का कारक तथा जल तत्व का प्रतिनिधि है। मन की प्रसन्नता जीवन को आनंदमय तथा स्वस्थ बनाती है। चमेली तथा रातरानी का इत्र या सुगंध चन्द्रमा की पीड़ा को शांत करता है।

मंगल- अग्नि तत्व का ग्रह है तथा यह जीवन में उत्साह देता है। लाल चन्दन का इत्र, तेल या सुगंध मंगल को प्रसन्न करता है। 

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बुध- पृथ्वी तत्व का प्रधान ग्रह है। यूकेलिप्टस, इलायची तथा चम्पा की सुगन्ध भी बुध को प्रिय है। चम्पा के इत्र या तेल से स्नान करना, बुध की दृष्टि से उत्तम माना जाता है।

बृहस्पति- बृहस्पति आकाश तत्व का प्रतिनिधि तथा समृद्धिदाता है। पीले फूूलों की सुगंध और केसर तथा केवड़े का इत्र भी बृहस्पति की कृपा दिलवाता है।

शुक्र- शुक्र जल तत्व तथा सुगंध प्रिय है। यह काम और सेक्स जीवन का अधिपति है। सफेद फूल, चंदन तथा कपूर की सुगंध लाभदायक है। चंदन का लेप तथा तेल में कपूर डालकर उपयोग करना श्रेष्ठ होता है। चम्पा, चमेली तथा गुलाब की तेज सुगंध का उपयोग शुक्र को नाराज़ कर देता है।

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शनि- शनि वायु तत्व का प्रतिनिधि है। कस्तूरी, लोबान तथा सौंफ की सुगंध शनि को बहुत पसंद है।

राहू-केतु - काली गाय का घी इन्हें बहुत प्रिय है। शरीर पर इसकी मालिश करने अथवा भोजन के रुप में इसे खाना राहू-केतु का कृपा पात्र बनाता है। इसके अतिरिक्त लोबान व कस्तूरी की सुगंध इन्हें प्रिय है। 

नवग्रह की शांति के लिए शहद, घी, अर्क, पलासा, खैर, अपामार्ग, पीपल, शमी, दूर्वा तथा कुश का चूर्ण धूप में मिलाकर घर में धूप देते रहना चाहिए। 

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Niyati Bhandari

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