खौफनाक सच: आत्महत्या के बाद क्या होता है आत्मा का

punjabkesari.in Saturday, Jan 19, 2019 - 04:43 PM (IST)

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आज के समय में हर किसी की लाइफ में कुछ न कुछ परेशानियां रहती ही हैं। जिसके चलते इंसान मानसिक तौर पर खुद को थका हुआ महसूस करता है। कई बार वह खुद की ज़िंदगी के साथ भी खिलवाड़ कर देता है। उसे अपना जीवन त्यागने के अलावा कोई ओर रास्ता नहीं सुझता। आत्‍महत्‍या, समाज का कड़वा सच है जिसके कई कारण हो सकते हैं- आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और भावनात्‍मक रूप से परेशानी होने पर व्‍यक्ति आत्‍महत्‍या कर लेता है। कई बार किसी अपने के खो जाने का गम भी इतना ज्‍यादा होता है कि व्‍यक्ति को अपना जीवन खाली लगने लगती है और वह अपना जीवन त्‍याग देता है। हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक पुराण, गरूड़ पुराण में मृत्‍यु के हर रूप और उसके बाद के जीवन के बारे में बताया गया है। आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे कि आत्म हत्या करने के बाद व्यक्ति की आत्मा के साथ क्या होता है। यह सवाल कई लोगों के मन में उठता होगा कि शरीर त्यागने के बाद आत्मा कहां जाती है और क्या होता है उसके साथ। लोगों का कहना है कि आत्‍महत्‍या सबसे बुरा अपराध होता है और इसका परिणाम, बेहद सख्‍त होता है। आत्‍महत्‍या एक निंदनीय कार्य है जिसमें व्‍यक्ति संघर्ष करने से घबराकर जान देना सही समझता है।
PunjabKesariहिंदू धर्म इसका मत-
हिंदू धर्म में अगर किसी परिवार में कोई सदस्‍य आत्‍महत्‍या कर लेता है उस परिवार को भावनात्‍मक दुख लगता है और उस परिवार को सामाजिक कलंक भी लग जाता है। लोग अक्‍सर परिवार में ही दोष देखने लग जाते हैं। हिंदू धर्म में आत्‍महत्‍या को निंदनीय माना जाता है, क्‍योंकि धर्म के अनुसार कई योनियों के बाद मनुष्य जीवन मिलता है ऐसे में उसे ऐसे ही गंवा देना बेवकूफी माना जाता है। आत्महत्या करना कमजोरी की निशानी माना गया है। कहा जाता है कि कई योनियों में जन्‍म-मरण के चक्र को पूरा करने में हजारों साल लग जाते हैं उसके बाद मानव जीवन मिलता है ऐसे में उसे पूरा जीना चाहिए और मानव कल्‍याण के लिए कुछ अच्छे काम करने चाहिए। अपना जीवन भगवान की भक्ति में लगाना चहिए ताकि आगे चलकर मोक्ष की प्रप्ति हो सके। 
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PunjabKesariआत्‍महत्‍या करने के बाद क्या होता है उसके साथ-
शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि जो व्‍यक्ति आत्‍महत्‍या करता है उसकी आत्‍मा को शांति नहीं मिलती है और वह हमारे बीच ही भटकती रहती है। उसे न ही स्‍वर्ग और न नर्क में जगह मिलती है। ऐसे में आत्‍मा अधर में लटक जाती है, वो तब तक अंतिम स्‍थान पर नहीं जाती, जब तक उनका समय नहीं हो जाता है। उदहारण के तौर पर अगर किसी व्‍यक्ति की आयु लगभ 70 वर्ष की है लेकिन उसने 30 वर्ष में ही किसी कारण अपने जीवन को समाप्‍त कर लिया तो उसकी आत्‍मा 40 वर्षों तक यूं ही भटकती रहेगी। उसकी आत्मा कम्‍मा लोक में भटकने वाली होती है जिसका कोई ठिकाना नहीं होता, ये प्रक्रिया अधूरी ही रहती है और समय आने पर ही वह स्‍वर्ग/नर्क जाएगा। आत्‍महत्‍या करने से व्‍यक्ति प्रकृति के खिलाफ कदम उठाता है ऐसे में उसकी आत्‍मा की मुक्ति संभव नहीं हो पाती है।
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