ढाई वर्ष बाद ही क्यों बदलते हैं शनि अपनी चाल

punjabkesari.in Saturday, Jan 19, 2019 - 04:13 PM (IST)

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शास्त्रों में शनिदेव को न्याय प्रिय देव माना जाता है क्योंकि वे हर किसी को उनके कर्मों के आधार पर ही दंड देते हैं। ये ऐसी बातें हैं जिसके बारे में सब जानते हैं। परंतु क्या आप में से किसी को ये पता है कि शनि की चाल इतनी धीमी क्यों होती है। अक्सर हमने बड़े से बड़े ज्योतिषियों को कहते सुना होगा कि शनि जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं उन्हें वहां से निकलने में काफी समय लग जाता है। लेकिन इस बारे में किसी को पता नहीं होगा कि आख़िर क्यों होता है। तो चलिए जानते हैंं इससे जुड़ी पौराणिक कथा-
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एक पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव का तेज सहन न कर पाने की वजह से उनकी पत्नी संज्ञा ने अपने शरीर से अपने जैसी ही एक प्रतिमा तैयार की। संज्ञा देवी ने उसे आज्ञा दी कि तुम मेरी अनुपस्थिति में मेरी सारी संतानों की देख-रेख करते हुए सूर्यदेव की सेवा करो और पत्नी सुख भोगो। ये आदेश देकर वह अपने पिता के घर चली गई। संज्ञा के प्रतिरुप ने भी अपने आप को इस तरह ढाला कि सूर्यदेव भी यह रहस्य न जान सके। 
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इस बीच सूर्यदेव से उस प्रतिरुप को पांच पुत्र व दो पुत्रियां हुई। वे अपने बच्चों पर अधिक और संज्ञा की संतानों पर कम ध्यान देने लगी। एक दिन पहली पत्नी के पुत्र शनि को तेज भूख लगी, तो उसने उससे भोजन मांगा। तब उस प्रतिरुप ने कहा कि अभी ठहरो, पहले मैं भगवान का भोग लगा लूं और तुम्हारे छोटे भाई बहनों को खाना खिला दूं, फिर तुम्हें भोजन दूंगी। यह सुन शनि को क्रोध आ गया और उन्होंने भोजन पर लात मरने के लिए अपना पैर उठाया तो उसने शनि को श्राप दे दिया कि तेरा पांव अभी टूट जाए। 
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माता का श्राप सुनकर शनिदेव डरकर अपने पिता के पास गए और सारा किस्सा कह दिया। सूर्यदेव समझ गए कि कोई भी माता अपने बच्चे को इस तरह का श्राप नहीं दे सकती। तब सूर्यदेव ने क्रोध में आकर पूछा कि बताओ तुम कौन हो?  सूर्य का तेज देखकर वह औरत घबरा गई और सारी सच्चाई बता दी। तब सूर्य देव ने शनि को समझाया कि ये तुम्हारी माता तो नहीं है परंतु मां के समान है इसलिए उसका श्राप व्यर्थ तो नहीं होगा परंतु यह उतना कठोर नहीं होगा कि टांग पूरी तरह से अलग हो जाएं। हां, तुम आजीवन एक पांव से लंगड़ाकर चलते रहोगे। यही कारण हैं शनिदेव की मंदगति का।
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