देव व लाली के पदभार संभालने के पहले दिन ही कांग्रेस भवन रहा सूना

punjabkesari.in Thursday, Jan 17, 2019 - 10:35 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): जिला कांग्रेस शहरी के प्रधान बलदेव सिंह देव और देहाती के प्रधान सुखविन्द्र सिंह लाली की ताजपोशी के उपरांत पहले दिन ही कांग्रेस भवन पूरी तरह से सूना रहा। जिला कांग्रेस शहरी प्रधान के ऑफिस के दरवाजे पर जहां दिनभर ताला लटका रहा, वहीं देहाती प्रधान के कार्यालय का दरवाजा तो खुला था परंतु कार्यालय में रखी कुर्सियां नए प्रधान व कार्यकत्र्ताओं को तरसती दिखाई दी, जिस कारण कांग्रेस भवन में कोई खास हलचल दिखाई नहीं दी। कार्यालय के लॉन में केवल 3-4 लोग ही धूप में बैठे हुए थे।दोनों प्रधानों की अनुपस्थिति के चलते कार्यालय आने वाले कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं को मायूसी का सामना करना पड़ा।
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वर्णनीय है कि गत दिवस जिला कांग्रेस शहरी व देहाती के नवनियुक्त प्रधानों ने अपना चार्ज संभाला था। इस दौरान मौजूद सांसद संतोख चौधरी, पूर्व सांसद मोहिन्द्र सिंह के.पी., विधायक राजिन्द्र बेरी, विधायक जूनियर अवतार हैनरी, विधायक परगट सिंह, विधायक चौधरी सुरिन्द्र सिंह सहित सभी वरिष्ठ नेताओं ने देव व लाली को कांग्रेस की मजबूती व कार्यकत्र्ताओं को गतिशील करते हुए अगले लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट जाने को कहा था। कांग्रेस नेताओं ने देव और लाली को चेताते हुए कहा था कि प्रधानगी उन्हें किसी सुख-सुविधा के लिए नहीं दी गई बल्कि उनके सिर पर कांटों का ताज पहनाया गया है और हाईकमान द्वारा दी गई जिम्मेदारी का उन्होंने बखूबी निर्वाह करना है।
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देहाती के प्रधान सुखविन्द्र लाली के भाई कंवलजीत लाली ने तो शहरी प्रधान के समय पर कार्यक्रम में न शामिल होने पर चेताया था कि अगर आज ही बलदेव देव ऐसे लेट हो रहे हैं तो आगे काम कैसे चलेगा परंतु केवल एक दिन बाद ही देव तो क्या पहले ही दिन कंवलजीत लाली के खुद के भाई ने भी कांग्रेस भवन का रुख करना मुनासिब नहीं समझा। जबकि दोनों जिला प्रधानों ने दावा किया था कि वे रोजाना कांग्रेस भवन में बैठकर कार्यकत्र्ताओं व आम जनता की समस्याओं को सुनेंगे। शहरी कार्यालय के एक कर्मचारी ने बताया कि बलदेव देव अपने कुछ साथियों सहित 20-25 मिनट के लिए आए थे परंतु चाय-पानी के उपरांत वह वापस चले गए जिसके बाद से उनके आफिस में ताला लगा है। वहीं, देहाती कार्यालय के ऑफिस इंचार्ज नंबरदार हरपाल सिंह संधू रोजाना कि भांति अपनी ड्यूटी निभाते हुए आए कार्यकत्र्ताओं को अटैंड करते दिखे। अगर देहाती व शहरी प्रधानों का अपनी जिम्मेवारी के प्रति ऐसा ही उदासीन रवैया भविष्य में भी रहा तो कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में इस कार्यशैली का भारी खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।


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