कुंभ मेला 2019: भव्य तरीके से श्रृंगार करते हैं नागा साधु

punjabkesari.in Wednesday, Jan 16, 2019 - 02:12 PM (IST)

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15 जनवरी से प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन शुरू हो चुका है। इस मेले में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि कुंभ मेले की सबसे बड़ी शान होता है यहां आने वाले साधु। कहा जाता है इन साधुओं की साधना इतनी निराली होती है कि दुनिया में इनके जैसी साधना कोई नहीं कर सकता। लेकिन इनकी साधना के अलावा भी इनके बारे में कुछ और भी हैं, जो बहुत ही आकर्षक और मनभावन होता है। जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि इनकी साधना के साथ-साथ इनका श्रृंगार भी देखने लायक होता है।

चलिए जानते हैं इनके अद्भुत श्रृंगार के बारे में-
बहुत से लोगों ने देखा होगा कि कुंभ में आने वाले साधुओं की वेशभूषा अलग-अलग होती है। इनमें से किसी ने अपने शरीर पर भस्म लगाई होती है तो किसी न पूरे शरीर पर रुदाक्ष पहने होते हैं। तो कुछ बिल्कुल नग्न अवस्था में होते हैं यानि बगैर कपड़ों के। कहा जाता है इन साधुओं की विभिन्न वेशभूषा इनकी पहचान होती है। यहां जानें इनके श्रृंगार में सबसे अहम मानी जाने वाली वस्तुएं-
 

मसलन किसी ने खुद को रुद्राक्ष से ढंक रखा है तो किसी ने अपने पूरे शरीर में भभूत लगा रखी है। तो कहीं किसी साधु का तिलक ही उसका सबसे बड़ा आकर्षण है। अलग-अलग रंग-रूप और वेशभूषा लिए तमाम साधुओं की अपनी एक अलग पहचान होती है। मसलन कोई अपने वस्त्र विशेष को धारण करने के लिए जाना जाता है तो वहीं बगैर वस्त्रों के यानी नग्न रहने के कारण लोगों की आस्था और आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

भस्म
बता दें कि कुंभ में शामिल होने वाले साधारण साधु और नागा साधु माथे पर से लेकर तक पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं। ज्योतिष के अनुसार यज्ञ आदि से प्राप्त की गई इस विभूति को लगाने से तमाम बीमारियों से बचा जा सकता है। माना जाता है कि नग्न घूमने वाले इन नागा साधुओं पर कभी किसी मौसम का कोई असर नहीं होता।
PunjabKesariतिलक
कहा जाता है कि कुंभ में शामिल होने वाले साधुओं के द्वारा पहने गए वस्त्र और उनका तिलक ही उनकी खास पहचान होती है। तिलक को लेकर मान्यता है कि कुछ साधु गोल तिलक लगाते हैं तो कुछ उर्ध्वपुण्ड्र टीका लगाते हैं। वहीं शैव परंपरा वाले साधु अगल तरीके से तो वैष्णव परंपरा वाले साधु अलग तरीके से तिलक लगाते हैं।
PunjabKesariरुद्राक्ष
इतना तो सब जानते हैं कि रुदाक्ष की हिंदू धर्म में बहुत महत्वता बताई जाती है। यहीं कारण है शिव जी साधु भक्तों रुदाक्ष अति प्रिय है। शिव की साधना में लीन रहने वाले तमाम साधु-संत रुद्राक्ष को विशेष रूप से धारण करते हैं। कुंभ मेले में आपको रुद्राक्ष की मालाओं से ढके हुए कई साधु-संत देखने को मिलते हैं। किसी ने सिर पर रुद्राक्ष की जटाएं बनाई होती है तो किसी ने बकायदा सिर पर ही रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाया होता है। तो वहीं कुछ साधुओं ने तो पूरे शरीर में हजारों-हजार रुद्राक्ष धारण किए हुए होती हैं।
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जटाएं
लोक मान्यता के अनुसार कुंभ मेले के दौरान जिन कुछ साधुओं के  सिर के पूरे बाल मुड़े हुए मिले, तो समझ जाएं कि ऐसे साधुओं की पहचान उनकी लंबी जटाएं से ही की जाती हैं। कहा जाता है साधु ऐसी जटाएं पाने के लिए अपने बालों की खूब देखभाल करते हैं। जब इनकी जटाएं तैयार हो जाती हैं तब साधु इन जटाओं का रुद्राक्ष, मोतियों, फूल-मालाओं आदि से श्रृंगार करते हैं।
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इसके अलावा जटा-जूटधारी साधु पैरों में कड़ा, कानों में कुंडल और हाथ की अंगुलियों में अंगूठी आदि भी पहनते हैं।
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Jyoti

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