सरकार! मैडीकल कॉलेज की हालत बदतर, टूटी खिड़कियों से निकलती ठंड से ऐसे बचाव कर रहे मरीज

punjabkesari.in Wednesday, Jan 16, 2019 - 02:12 PM (IST)

चम्बा (विनोद): मैडीकल कालेज अस्पताल चम्बा प्रबंधन अस्पताल की खिड़कियों के टूटे हुए शीशों को बदलवाने में असहाय दिख रहा है। आलम यह है कि खिड़कियों के टूटे हुए शीशों के स्थान पर रोगियों ने स्वयं अखबार या फिर गत्ते लगाकर खुद को ठंडी हवाओं से बचाने की व्यवस्था कर रखी है। कुछ खिड़कियों पर तो कंपकंपा देने वाली ठंड से खुद को बचाने के लिए लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के प्रचार-प्रसार वाले पोस्टर ही चिपका दिए हैं। कुल मिलाकर 4 मंजिला इस मैडीकल कॉलेज अस्पताल की दूसरी मंजिल को छोड़ दिया जाए तो शेष ऐसी कोई भी मंजिल नहीं बचती है जिसकी खिड़कियों के शीशे टूटे हुए नहीं हैं। आलम यह है कि मैडीकल कालेज अस्पताल की पहली मंजिल में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए भर्ती किया जाता है। उक्त कक्ष की कुछ खिड़कियों के शीशे टूटे होने के चलते कंपकंपा देने वाली इस ठंड को इस कक्ष में बखूबी महसूस किया जा सकता है। गर्भवती महिलाओं को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे फिर किसलिए? 

लोगों की बात-बदलो हालात

मेहर दत्त निवासी गांव हमरौता का कहना है कि इस अस्पताल की स्थिति ऊंची दुकान फीका पकवान की बनी हुई है। पहले से ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पाने के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है। ऐसे में खिड़कियों की सर्दियों के इस मौसम में यह हालत नि:संदेह बेहद चिंता की बात है। वहीं गांव बडौता निवासी शक्ति प्रसाद का कहना है कि शीशे टूटने की बात तो समझ में आती है लेकिन उनके स्थान पर नए शीशे नहीं लगवाना यह बात समझ से परे है। इस कार्य के लिए लाखों रुपए की जरूरत नहीं जिसके चलते सरकार से बजट मिलने का इंतजार करना पड़ता हो। बेहतर है कि मैडीकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन इस मामले पर गंभीरता दिखाए। उधर, वेल्ज के मनसा राम बताते हैं कि अब तो कम से कम इस प्रकार की खस्ता हालत देखने को नहीं मिलनी चाहिए। कुछ नहीं तो कम से कम इस अस्पताल के नाम की लाज रखने के लिए ही मैडीकल कॉलेज प्रबंधन इस दिशा में शीघ्र प्रभावी कदम उठाए। त्रिलोचन महादेव के सूफल राम का कहना है कि यही वजह है कि इस अस्पताल की दिन ब दिन हालत खराब होती जा रही है।
 


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