बाबुओं के लिए ‘उम्र की सीमा’ नहीं घटेगी

punjabkesari.in Monday, Jan 14, 2019 - 03:37 AM (IST)

सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह जनरल कैटेगरी में आई.ए.एस.-आई.पी.एस. उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 32 वर्ष से घटाकर 27 वर्ष करने का कोई प्रस्ताव नहीं रख रही है, जैसा कि नीति आयोग द्वारा सुझाया गया है। इसने यह भी कहा था कि भर्ती को एक केन्द्रीय प्रतिभा पूल में रखा जाना चाहिए, जो बाद में अपनी योग्यता और पद के नौकरी विवरण का मिलान करके उम्मीदवारों को आबंटित करेगा। 

इससे पहले, कम से कम तीन समितियों ने सिविल सेवा के लिए प्रवेश की उम्र को कम करने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार का मानना है कि सिफारिश को स्वीकार किया तो उसे भारी राजनीतिक कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण उन उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी राहत है जो देर से तैयारी शुरू करते हैं और नौकरशाही में शामिल होना चाहते हैं। 

सिविल सेवा के अधिकारियों की भर्ती को लेकर स्थिति को तो सरकार ने स्पष्ट कर दिया लेकिन अभी भी आई.ए.एस. और आई.पी.एस. कैडर में 2,400 से अधिक रिक्तियों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। आई.पी.एस. में स्थिति बदतर होती जा रही है क्योंकि कुल मिलाकर आई.पी.एस. अधिकारियों की संख्या में पिछले साल की तुलना में गिरावट देखी गई है। हालांकि, आई.ए.एस. अधिकारियों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है। 

कार्मिक, लोक शिकायत और पैंशन मंत्रालय द्वारा संकलित आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017 में 908 आई.पी.एस. अधिकारियों की कमी थी, जो जनवरी 2018 तक 970 तक पहुंच गई है। संसद की स्थायी समिति द्वारा पहले ही अधिकारियों की लगातार कमी पर गंभीर चिंता  जताई जा चुकी है। हालांकि, सरकार का दावा है कि समस्या का समाधान करने के लिए, उसने प्रत्यक्ष भर्ती कोटा के तहत पिछले कुछ वर्षों में आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों की वार्षिक भर्ती में वृद्धि की है। 

योगी का डर : यू.पी. के बाबुओं को हिलना पड़ेगा कुर्सी से 
यू.पी. के मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडे इस समय प्रिंसिपल सचिव, सचिव और विशेष सचिव के पद पर कई सहयोगियों से निराश हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक सरकार की प्रमुख परियोजनाओं की स्थिति पर अपने क्षेत्र के दौरे की रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। सभी 75 अधिकारियों को लिखे पत्र में, पांडे ने बताया है कि अगस्त में 16 अधिकारियों, सितम्बर में 31 अधिकारियों और अक्तूबर 2018 में 47 अधिकारियों ने सरकार को अपने दौरे की रिपोर्ट नहीं दी है। 

पांडे के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि भविष्य में जिलों के दौरों के दौरान इस तरह की ‘लापरवाही’ अधिकारियों के खिलाफप्रतिकूल रिपोर्ट का आधार बनेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पता चलता है कि नोडल अधिकारी जिलों के दौरों की अपनी जिम्मेदारी के प्रति न तो संवेदनशील हैं और न ही गंभीर। उन्होंने आगे अपने सहयोगियों का ध्यान आकर्षित किया कि उन्हें भविष्य में अपने क्षेत्र के दौरे की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने के लिए कहा गया है। योगी के राज में बाबू अब शासन के नियमों की अनदेखी नहीं कर सकते। 

रिटायर्ड बाबुओं का क्लब बन गया सूचना आयोग
चार नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति और केन्द्रीय सूचना आयोग (सी.आई.सी.) में एक नए मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति हाल ही में सरकार द्वारा काफी देर से उठाया गया एक कदम था। मुख्य सूचना आयुक्त आर.के.माथुर और सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद, श्रीधर आचार्युलु और अमिताव भट्टाचार्य के सेवानिवृत्त होने के बाद आयोग, आर.टी.आई. मामलों में सर्वोच्च स्थगन प्राधिकरण, में सिर्फ 3 ही सूचना आयुक्त कार्यरत रह गए थे जबकि इसमें स्वीकृत पदों की संख्या 11 है।

सी.आई.सी. के रूप में सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव और पूर्व आई.एफ.एस. अधिकारी यशवर्धन कुमार सिन्हा, पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी वनजा एन. सरना, पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी नीरज कुमार गुप्ता और पूर्व कानून सचिव सुरेश चंद्र की नियुक्ति से कुछ हद तक अंतर भर गया है। हालांकि, नई नियुक्तियों को लेकर हर कोई खुश नहीं है। लगता है कि केन्द्र ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अनुसार आयोग में गैर-नौकरशाहों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व की दलीलों को नजरअंदाज कर दिया है। यह पैनल एक तरह से कई सारे पूर्व-बाबुओं का क्लब बना हुआ है और सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि, सरकार ने उम्मीद जताई है कि शेष रिक्तियों को जल्द ही भर दिया जाएगा लेकिन अधिक लोगों को विश्वास नहीं है कि सरकार बाबुओं के अलावा अन्य वर्गों से लोगों को सूचना आयुक्त नियुक्त कर पाएगी।-दिलीप चेरियन


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