मनुष्य जीवन पानी की तरह है जानें कैसे

punjabkesari.in Sunday, Jan 13, 2019 - 05:14 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि अगर कोई इनकी नीतियों पर चलता है तो गरीब इंसान भी राजा बन सकता है। इनकी नीतियों को अगर कोई अपने जीवन में उतार लें तो कभी किसी चीज़ की कमी नहीं रहती है। नीतियों के ज्ञाता चाणक्य ने अपनी हर नीति में लोगों का उनके अनेक कल्याण की बातें बताई हैं। उनका कहना है कि अगर पानी में कोई भी वस्तु मिला ली जाए तो उसमें भी पानी के गुण मिल जाते हैं। ठीक उसी तरह अगर कोई व्यक्ति बूरी संगती में रहता है तो वे भी एक न एक दिन उसी संगत के रंग में रंग जाता है। यानि व्यक्ति पर बूरी संगत का असर बूरा और अच्छी का अच्छा ही होता है। चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि 
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रजतं कनकसंगात् कनकं भवति।

अर्थ : सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है।
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भावार्थ : यहां भी आचार्य चाणक्य ने सत्संगति के महत्व को समझाते हुए बताया है कि जैसे चांदी, सोने के साथ मिल कर सोने की भांति ही दिखाई देती है, उसी प्रकार सत्संगति के प्रभाव से दुष्ट मनुष्य भी सज्जन दिखाई देने लगता है।
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