भूलकर भी इन 6 का बुरा न सोचें वरना हो जाएगा विनाश

punjabkesari.in Tuesday, Jan 08, 2019 - 11:25 AM (IST)

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श्रीमद्भागवत महापुराण के बारे में तो सब को पता ही है। जिसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उन्हीं उपदेशों में से कुछ ऐसी बातें भी भगवान ने बताई है जहां उन्होंने 6 ऐसे लोगों के बारे में बताया है कि जिनके लिए मन में गलत सोच या विचार रखने से व्यक्ति को उसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-   
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श्लोक :
यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।
धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।

अर्थात- जो व्यक्ति देवता, वेद, गौ, ब्राह्मण, साधु और धर्म के कामों के बारे में बुरा सोचता है, उसका जल्दी ही नाश हो जाता है। यहां स्पष्ट करना जरूरी है कि ब्राह्मण उसे कहते हैं, जो कि वैदिक नियमों का पालन करते हुए ब्रह्म ही सत्य है ऐसा मानता और जानता हो। जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता है।
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देव
किसी भी देवी या देवता का अपमान करने वाला ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता। उसका एक दिन विनाश होना तय होता है। इसलिए कभी किसी देव-देवी का अपमान नहीं करना चाहिए।
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वेद
आज के समय में ज्यादातर लोगों ने वेद नहीं पढ़े होते तो उनके बारे में कुछ भी बुरा सोचना या बोलना अपराध ही माना जाता है। वेद ईश्‍वर के वाक्य हैं। प्राचीनकाल से अब तक जिन्होंने भी वेदों का अपमान किया, उन्हें भगवान के दंड का पात्र बनना ही पड़ता है। 
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गाय
जब कभी भी गाय का अपमान या कत्ल हुआ है, तो उसका परिणाम सबको झेलना पड़ता है। गाय में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। 84 लाख योनियों में गुजरने के बाद गाय या बैल को आत्मा का अंतिम पड़ाव माना जाता है। इसलिए गाय के अपमान या मारने के बारे में सोचना भी अपराध है। जो इनकी पूजा करता है, उसे धन-संपत्ति के साथ-साथ मान-सम्मान भी प्राप्त होता है।
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ब्राह्मण
ब्राह्मण यानि पंडित जो दिन रात भगवान की सेवा में रहता है। जो प्रतिदिन संध्यावंदन और वेदपाठ करता हो। जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता। जिस व्यक्ति ने संसार में रहकर अपना संपूर्ण जीवन धर्म-कर्म के कार्यों में लगा दिया हो, उसका कभी अपमान नहीं करना चाहिए।
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साधु
साधु या ऋषि ब्राह्मणों की तरह संसार या परिवार में रहकर काम नहीं करते। वे जंगल या आश्रम और अपने परिवार से अलग रहकर लोगों तक भगवान नाम का प्रचार करते हैं। हर किसी को ऋषियों और साधुओं का हमेशा सम्मान करना चाहिए। 

धर्म-कर्म की बातें
जब कभी भी कहीं धर्म की बात हो रही हो तो कभी भी धर्म का अपमान या मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए। अश्‍वत्थामा द्वारा धर्म की निंदा करने और अधर्म का साथ देने की वजह से ही भगवान कृष्ण ने उसे दर-दर भटकने और उसकी मुक्ति न होने का श्राप दिया था। 
इस छोटे से उपाय से कैसा भी confusion होगा दूर(video)


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