यहां बजरंगबली भगवान शिव को अपने कंधे पर लाए थे !

punjabkesari.in Monday, Jan 07, 2019 - 12:35 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा(video)
आज तक हम आपको बहुत से ऐसे शिव मंदिरों के बारे में बता चुके हैं, जिनका रहस्य या कहें कि उनसे जुड़े पौराणिक तत्थ अपने आप में एक मिसाल है। कहने का मतलब है कि इन मंदिर से जुड़ी कथाएं इतनी रहस्यमयी और दिलचस्प हैं कि लोग खुद इनकी तरफ़ खींचते चले आते हैं। तो आज हम भी आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद किसी को पता नहीं होगा। इस मंदिर का रहस्य हिंदू धर्म के प्रमुख देवता यानि देवों के देव महादेव से जुड़ा हुआ है। 
PunjabKesari
हम बात कर रहें है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के महादेव घाट पर स्थित चमत्कारिक हटकेश्वर मंदिर की। कहा जाता है कि खारुन नदी के तट पर स्थित इस मंदिर के पीछे त्रेतायुग की एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। जिसके अनुसार पवनपुत्र हनुमान शिव शंकर को अपने कंधे पर बिठा कर यहां लाए थे। कहा जाता है कि ये मंदिर भगवान श्रीराम के वनवास काल के दौरान का है। लोक मान्यता के अनुसार जब श्रीराम भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ यहां से यानि छत्तीसगढ़ के इस इलाके से गुज़र रहे थे यहां लक्ष्मण ने शिवलिंग की स्थापना की थी।
PunjabKesari
हटकेश्वर महादेव मंदिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी अपने कंधे पर शिवजी को लेकर निकल पड़े। बाद में ब्राह्मण देवता को आमंत्रण करने गए जिसमें उन्हें काफ़ी देर हो गई। इधर लक्ष्मण जी देरी होने से क्रोधित हो रहे थे। स्थापना के समय में देर हो गई थी। इसलिए स्थापना के समय को देखते हुए उन्होंने शिवलिंग को खारुन नदी के तट पर ही स्थापित कर दिया। ऐसा माना जाता है कि ये मंदिर रायपुर शहर से 8 कि.मी. दूर स्थित 500 साल पुराना है। बता दें कि इस मंदिर को भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
PunjabKesari
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो जाती है। इस भव्य मंदिर की आंतरिक और बाहरी कक्षों की शोभा देखते ही बनती है। परिसर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के पास ही राम, जानकी, लक्ष्मण और अन्य कई प्रतिमाएं हैं। बताया जाता है खारुन नदी पर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी किया जाता है। गया और काशी की तरह यहां विशेष पूजा पाठ भी किया जाता है। यहां कार्तिक-पूर्णिमा के समय एक बड़ा मेला लगता है। पौराणिक इतिहास के मुताबिक राजा ब्रह्मदेव के विक्रम संवत 1458 अर्थात 1402 ई. के शिलालेखों से ज्ञात होता है कि हाजीराज ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था।
इस छोटे से उपाय से कैसा भी confusion होगा दूर(video)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News