सिर्फ इस एक गुण से आप बन सकते हैं महान

punjabkesari.in Friday, Jan 04, 2019 - 04:05 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा(video)
ऐसा देखा जाता है कि बहुत से लोग जीवन में सफलता पाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, ताकि उन्हें खूब तरक्की मिले। इसके लिए व्यक्ति भगवान की प्रार्थना के साथ-साथ वे बहुत से उपाय भी करते हैं, ताकि उनका हर काम जल्द से जल्द पूरा हो सके। लेकिन आपने बहुत बार ऐसा देखा होगा कि जब इंसान के पास बहुत सारा धन आ जाता है या फिर उसके सारे काम पूरे होने लग जाते हैं तो वे भगवान का शुक्रिया अदा करने की बजाए उन्हें भूल ही जाता है। वे भूल जाता है कि आज वो जिस मुकाम पर पहुंचा है उसके पीछे ईश्वर की ही कृपा है। वो अपने धन और अपनी काबिलियत पर इतराने लग जाता है।
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अगर कोई इंसान धन को लेकर अभिमान करता है तो उसे ये देखना चाहिए कि उससे ज्यादा धनवान इस दुनिया में ओर भी कई हैं। कई बार कुछ विद्वानों को अपनी विद्या का अभिमान हो जाता है क्योंकि वे भूल जाते हैं कि उनसे भी कई बड़े विद्वान बैठे हैं। इसलिए व्यक्ति को कभी भी किसी चीज़ पर अभिमान नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो लोग अहंकार त्याग देते हैं वही महापुरूष कहलाते हैं।
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उदाहरण के तौर पर महाभारत में जब दुर्योधन द्वारा बनाए गए भोजन को ठुकरा कर भगवान कृष्ण ने महात्मा विदुर के घर का साग खाया था। अगर उस समय या अब देखा जाए तो क्या भगवान के पास किसी चीज़ की कोई कमी थी ? क्या भगवान ने किसी चीज़ को लेकर अंहकार किया था ? तो हम इंसानों की क्या औकात है कि हम आपस में ही अंहकार-अंहकार का खेल खेलते रहें। कहने का भाव है कि सब कुछ होते हुए भी ईश्वर केवल हमारे भाव के भूखे होते हैं इसी तरह इंसान को भी अंहकार का त्याग करते हुए मन में केवल प्यार की भावना को रखना चहिए।
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ऐसे ही अपने वनवास के दौरान भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए लेकिन उनके भाई लक्ष्मण ने जूठे बेर को फे़ंक दिया। इसी से हमें पता चलता है कि भगवान राम को अपने भक्तों के प्रति कितना प्रेम है। अगर वे अपने भक्त की भावना को समझते हैं तो उसके अंहकार से भी वाकिफ़ होते हैं। शास्त्रों में भगवान के इन्हीं गुणों और उनके ऐसे स्वभाव की व्याख्या बताई गई है।
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