बरगाड़ी मोर्चे से भागे जत्थेदारों को पंथ माफ नहीं करेगा : सिख बुद्धिजीवी

punjabkesari.in Friday, Dec 14, 2018 - 08:43 AM (IST)

चंडीगढ़(भुल्लर): जिस तरह मनमाने तरीके से 192 दिन लंबे बरगाड़ी मोर्चे का अंत किया गया, उसने सिख पंथ में अत्यंत निराशा भर दी है। इस व्यवहार ने सिखों में इंसाफ लेने की इच्छाओं का हनन किया है। सिखों को इंसाफ मिलने की उम्मीद जगा कर पिछले चोर दरवाजे से भाग जाने वाले जत्थेदारों को सिख पंथ कभी माफ नहीं करेगा, बल्कि उनका नाम भी मोर्चे का प्रंपच रचा कर भागे अकाली लीडरों की काली सूची में दर्ज हो गया है।

ये विचार आज यहां सिख विचार मंच की प्रैस कांफ्रैंस के दौरान सिख बुद्धिजीवियों व ङ्क्षचतकों ने प्रकट किए। इस मौके पर गुरतेज सिंह पूर्व आई.ए.एस., डा. गुरदर्शन सिंह ढिल्लों, केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा के प्रवक्ता गुरप्रीत सिंह, सुरिंद्र सिंह किशनपुरा, जनरल सचिव खुशहाल सिंह, जसपाल सिंह, शिरोमणि खालसा पंचायत के राजिंद्र सिंह खालसा आदि शामिल थे। इन्होंने संयुक्त तौर पर सिखों को अपील की है कि सिख छुपे शातिर लीडरों को पहचानें। प्रवक्ताओं ने कहा कि हैरानी की बात है कि सार्वजनिक तौर पर आपसी दुश्मनी में उलझे बरगाड़ी मोर्चे के संचालक अजय भी अपने आप को सिख पंथ के लीडर तसलीम कर के बैठे हैं और आने वाले 2019 के लोकसभा चुनावों में बड़ी प्राप्तियां हासिल करने के सपने देख रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि असल में बरगाड़ी मोर्चा चलाना और अचानक ठप्प कर देना नवम्बर, 2015 में चब्बेवाल में आयोजित ‘सरबत खालसे’ वाली प्रक्रिया की शृंखला साबित हुई। उस समय पंजाब में अकाली सरकार को सिख पंथ के उभरते गुस्से से राहत दिलवाई गई और अब बरगाड़ी मोर्चे ने मौजूदा अमरेंद्र सिंह सरकार की बेअदबी के मामले पर मिट्टी डालने की कार्रवाइयों पर मोहर लगा दी है। प्रवक्ताओं ने यह भी कहा कि इस तरह सफलता के शिखर पर पहुंचे मोर्चे को समाप्त करके इसके आयोजकों ने सिखों में अविश्वास का माहौल पैदा किया है।


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