NGT की सख्ती का असर; 20 से पहले तैयार होगी सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों के अपग्रेडेशन संबंधी रिपोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Dec 12, 2018 - 01:51 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): बुड्ढे नाले को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जारी कवायद के तहत लोकल बॉडीज विभाग के प्रिंसीपल सैक्रेटरी ने नगर निगम अफसरों को 20 दिसम्बर से पहले सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों के अपग्रेडेशन संबंधी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। 

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यहां बताना उचित होगा कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदियों-नालों को प्रदूषण मुक्त बनाने के मामले में गंभीरता न दिखाने बारे जिस रिपोर्ट के आधार पर पंजाब सरकार को 50 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों से साफ होने के बाद बुड्ढे नाले व सतलुज दरिया में गिर रहा पानी मापदंडों को पूरा नहीं कर रहा है। यहां तक कि एस.टी.पी. ओवरलोड होने की वजह से पानी को साफ किए बिना ही बाईपास के जरिए बुड्ढे नाले व सतलुज दरिया में गिराया जा रहा है।

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इस बारे कमेटी द्वारा 31 जनवरी को फिर से एन.जी.टी. में रिपोर्ट दाखिल की जाएगी, जिससे पहले 26 दिसम्बर तक बुड्ढे नाले को प्रदूषण मुक्त बनाने बारे एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश निगम अफसरों को दिए गए हैं। इससे पहले योजनाओं की प्रोग्रैस रिव्यू करने के लिए लोकल बॉडीज विभाग के प्रिंसीपल सैक्रेटरी द्वारा मंगलवार को संबंधित विभागों के अफसरों के साथ मीटिंग की गई है। जानकारी के मुताबिक नगर निगम व सीवरेज बोर्ड के अफसरों को पहले ट्रीटमैंट प्लांटों की कैपेसिटी बढ़ाने की योजना फाइनल करने के लिए कहा गया है, जिसके लिए कई दिनों तक बुड्ढे नाले में पानी के डिस्चार्ज की रिपोर्ट तैयार करने पर जोर दिया गया है।

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नई सीवरेज लाइनें बिछाने के लिए भी होगा सर्वे
सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों की कैपेसिटी इसलिए बढ़ाई जा रही है कि बुड्ढे नाले में सीधा गिर रहा पानी उनके साथ जोड़ा जाए। इसे लेकर पी.एम.आई.डी.सी. ने निगम अफसरों को यह पहलू चैक करने को कहा है कि क्या बुड्ढे नाले में गिर रहा सीवरेज बंद करने पर पुरानी लाइनें सारे पानी का लोड उठा सकती हैं। अगर ऐसा नहीं है तो नई बिछाई जाने वाली लाइनों के लोड व एस.टी.पी. तक ले जाने के लिए रूट करने का सर्वे करने के निर्देश भी सरकार ने जारी कर दिए हैं।

सैम्पलिंग को लेकर इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधियों के साथ डी.सी. आज करेंगे मीटिंग
एन.जी.टी. द्वारा लगाए गए 50 करोड़ रुपए के जुर्माने के लिए मुख्य रूप से सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों के डिस्चार्ज प्वाइंट से लिए गए पानी के सैंपल फेल होने की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है, जिसे लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा निगम पर ठीकरा फोडऩे की कोशिश की गई। जबकि अपने बचाव में निगम का कहना है कि डाइंग या इलैक्ट्रॉप्लेटिंग यूनिटों द्वारा अपने अंदर लगे प्लांटों से साफ किए बिना पानी को सीवरेज में डालने की वजह से समस्या आ रहा है। क्योंकि एस.टी.पी. डोमैस्टिक डिजाइन के हैं और उन पर पहुंच रहा कैमिकलयुक्त पानी साफ नहीं हो सकता है। इन आरोपों को साबित करने के लिए निगम द्वारा पिछले दिनों डाइंग व इलैक्ट्रॉप्लेटिंग यूनिटों के सीवरेज में जुडऩे वाले प्वाइंट से पानी की सैम्पलिंग की गई है, जिस कार्रवाई का इंडस्ट्रीज द्वारा सरकार की तरफ से सी.ई.टी.पी. के निर्माण के लिए आर्थिक मदद न देने का मुद्दा बनाकर विरोध किया जा रहा है। इसके मद्देनजर डी.सी. ने बुधवार को इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई है।


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