हरेरा की गलती से खरीदार ई.एम.आई. और किराए की दोहरी मार झेल रहे

punjabkesari.in Wednesday, Dec 12, 2018 - 12:13 PM (IST)

 

गुडग़ांव(ब्यूरो): हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी के गठन को लेकर साल भर बीत गया लेकिन एजुकेटिंग अथॉरिटी का गठन अब तक नहीं किया गया है। जिसके कारण मकान खरीददारों को ईएमआई सहित किराए की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है और बिल्डर इसका फायदा उठा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हरेरा के नियमों के अनुसार एजूकेटिंग अथारिटी ही मुआवजे से संबंधित मामलों का निस्तारण करते हैं। तकरीबन साल भर से कार्यरत हरेरा अथारिटी के कार्य करने के बावजूद न तो गुडग़ांव ना ही पंचकूला में एजूकेटिंग अथारिटी का गठन किया गया है।

उल्लेखनीय है कि हरेरा एक्ट 2016 की धारा 71 के अनुसार मुआवजा तय करने के लिए अॅथोरिटी राज्य सरकार के साथ सलाह करके एक या अधिक सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी नियुक्त करेगी। धारा 72 के अनुसार यह न्यायिक अधिकारी जिसे एडजूकेटिंग अधिकारी का नाम दिया गया है। डिफाल्ट के कारण प्रमोटर को अनाधिक व अनुचित लाभ मिला और उसके कारण ग्राहक को कितना नुकसान हुुआ। एडजूकेटिंग ऑथोरिटी के गठन में देरी से हजारों घर खरीददारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मानव आवाज संस्था के संयोजक अभय जैन और प्रवक्ता बनवारी लाल सैनी अनेक घर खरीददारों के मुआवजे से सम्बन्धित केसों का निर्णय नही हो पा रहा है।

ये केस एडजूकेटिंग ऑथोरिटी के तहत आते हैं। जिसके कारण खरीददार घर की ईएमआई और किराए दोनो चुकाने पर मजबूर है। संस्था ने इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर मांग किया है कि शीघ्र ही एजूकेटिंग अथारिटी का गठन किया जाए। एडजूकेटिंग ऑथोरिटी की भूमिका घर की डिलीवरी के बाद भी रहती है क्योंकि उसे बिल्डिंग में संरचनात्मक दोष तथा गुणवत्ता सम्बन्धी अन्य समस्याओं के मद्देनजर मुआवजा तय करना होता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Deepak Paul

Recommended News

Related News

static