सब्जी की खेती से किसानों का मोह भंग

punjabkesari.in Tuesday, Dec 11, 2018 - 11:17 AM (IST)

 

रानियां(सतनाम चौहान): क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में सब्जियों की खेती बहुत ही कम हुई है। बड़े जमींदारों द्वारा सब्जियों की काश्त की जाती थी लेकिन इस बार उनका सब्जियों से मोह भंग हुआ है और इस बार केवल खेतिहर व मजदूर किसान ही सब्जियों की काश्त कर रहे हैं। इससे सब्जियों की खेती का रकबा कम हुआ है और गेहूं की फसल का रकबा बढ़ा है। इसका मुख्य कारण इस बार धान फसल की पैदावार अच्छी निकली और बाजार में भी रेट अच्छे मिले हैं।

इसके साथ ही सरकार द्वारा गेहूं के समर्थन मूल्य में भी बढ़ौतरी की है। इससे जो जमींदार पहले सब्जियों की खेती में विश्वास रखते थे। उन्होंने इस बार गेहूं की खेती ही की है। इसका मुख्य कारण यह भी रहा है कि पिछले वर्ष सब्जियों के दाम बहुत ही कम थे। जिस कारण सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को घाटे की मार झेलनी पड़ी थी।

पिछले वर्ष सब्जियों में हुआ घाटा पिछले वर्ष की तुलना में सब्जियों की खेती बहुत ही कम है। क्योंकि पिछले वर्ष किसानों के लिए सब्जियों की खेती घाटे का सौदा रही है। कुछ तो बीमारी के कारण फसल अच्छी नहीं हो पाई और कुछ बाजार में रेट बहुत ही कम मिले हैं। जिससे किसान बहुत ही मायूस थे और सब्जियों से तौबा कर चुके थे। इसलिए इस बार क्षेत्र में सब्जियों की खेती कम है। इसके साथ ही इस बार गेहूं की फसल के भी सरकार ने समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। इससे भी प्रेरित होकर बहुत से किसानों ने सब्जियों को छोड़कर गेहूं की खेती कर दी है।

आखिरकार टमाटर की खेती को क्यों दिया जाता है महत्व किसानों ने बताया कि पहले क्षेत्र में कम भूमि पर टमाटर की खेती की जाती थी। खेतिहर व मजदूर किसान थोड़ी-थोड़ी भूमि पर खेती किया करते थे। वे इनको केवल मंडी मेें ही ले जाया करते थे। आज से लगभग 15 साल पहले की बात है कि मंडी में एक दम टमाटरों के भाव में उछाल आया और जो बचा-कुचा टमाटर था उसको फैक्टरियों में ले जाने के लिए फैक्टरियों के मालिक गांव में आ पहुंचे। उस वर्ष यहां के लोगों ने अच्छी आमदन ली। उस समय सोर्स फैक्टरियों के मालिकों ने टमाटर की खरीददारी के लिए हां भरी और भविष्य में यहां से टमाटर ले जाने की मांग की।

टमाटरों की खेती करने की विधि
टमाटर की खेती करने के लिए नवम्बर माह में पहले टमाटरों की धान की तरह पनीरी तैयार की जाती है। किसान छोटी-छोटी क्यारी बनाकर बीज को लाइनों में डालकर ऊपर से राख या रोड़ी डाल देते हैं और बाद में ऊपर से धीरे-धीरे पानी लगा देते हैं। 25 दिनों के बाद पनीरी तैयार हो जाती है तो किसान खेत में बैड डालकर खेत में पानी छोड़ देते हैं। जब पूरा खेत रेज हो जाता है तो पनीरी को उखाड़कर बैड में एक फुट की दूरी पर लगा दिया जाता है। जरूरत के हिसाब से किसान फिर फसल की देखभाल करते हैं। जब पानी की जरूरत पड़ती है तो पानी देते हैं और जब खाद स्प्रे की जरूरत होती है तो खाद देेते हैं।

अप्रैल माह की 20 तारीख के बाद टमाटर पककर तैयार हो जाता है। इन गांवों में होती हैं सब्जियां
शहर रानियां, रामपुरथेड़ी, भड़ोलियावाली, नकौड़ा, संतावाली, नगराना, जीवन नगर, संतनगर, हरीपुरा, दमदमा, धर्मपुरा, करीवाला, बणी, सैनपाल कोठा व बाहिया में सब्जियों की खेती की जाती है। गांव नकौड़ा, संतवाली, नगराना, भिंडी के लिए मशहूर है। गांव दमदमा, करीवाला व संतनगर में मटर व टमाटर की खेती करते हैं लेकिन गांव धर्मपुरा केवल टमाटर की खेती के लिए विख्यात है।


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Deepak Paul

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